पाकिस्तानी साजिश की शिकार हुईं बलुच नेता?

20 दिसंबर से लापता करीमा का शव कनाडा के टोरंटो में मिला। 2016 में रक्षाबंधन के मौके पर करीमा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना भाई कहकर संबोधित करते हुए एक वीडियो के जरिए भावुक अपील की थी। बता दें कि करीमा बलोच स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन की अध्यक्षा थीं।

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पाकिस्तानी सरकार और सेना की ज्यादती के खिलाफ आवाज उठाने वाली बलूचिस्तानी महिला एक्टिविस्ट करीमा बलोच का कनाडा में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। 20 दिसंबर से लापता करीमा का शव कनाडा के टोरंटो में मिला। 2016 में रक्षाबंधन के मौके पर करीमा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना भाई कहकर संबोधित करते हुए एक वीडियो के जरिए भावुक अपील की थी। बता दें कि करीमा बलोच स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन की अध्यक्षा थीं।

करीमा बलोच 20 दिसंबर से लापता बताई जा रही थी। उन्हें अंतिम बार शाम तीन बजे देखा गया था। टोरंटो पुलिस ने लोगों से उनके बारे में जानकारी देने की अपील की थी। फिलहाल उनके परिजनों ने उनकी मौत को कनफर्म किया है।

पीएम मोदी को भेजा था रक्षा बंधन संदेश
2016 में करीमा बलोच ने अपनी बलूचिस्तानी बहनों की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी को रक्षा बंधन संदेश भेजा था। तब से भारतीय राजनीति और भारत के लोगों में वो काफी चर्चित हो गई थीं। उन्होंने पीएम मोदी से इस वीडियो में बलूचिस्तान के लोगों को पाकिस्तानी सेना की बर्बरता से बचाने की अपील की थी।

नामी हस्ती थी करीमा बलोच
करीमा बलोच बलूचिस्तान की नामी हस्ती थीं। उन्हें महिला एक्टीविस्ट माना जाता था। उन्होंने 2018 में संयुक्त राष्ट्र के स्विट्जरलैंड में  बलूचिस्तान में की जा रही पाकिस्तानी सेना की बर्बरता का मुद्दा उठाया था।

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संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में कही थी ये बात
 करीमा ने महिलाओं के साथ किए जा रहे भेदभाव पर भी बेवाक बातें कही थीं।“अगर इज्जत के नाम पर किसी महिला को उसके भाई द्वारा मार दिया जाता है, तो इस्लामिक कानून उसे पिता या परिवार के बाकी लोगों के साथ मामला सुलझाने की अनुमति देता है। ज्यादातर मामलों में, परिवार हत्यारे को माफ कर देता है। साथ ही, दो महिलाओं की गवाही एक पुरुष के बराबर होने के कारण, बलात्कार के मामलों में पीड़ितों के पक्ष में निर्णय लेने की संभावना कम होती है”

महिला की आजादी पर हमला
करीमा ने कहा,”कानूनी प्रणाली में इन बुनियादी खामियों के अलावा, धार्मिक समूहों ने पूरे पाकिस्तान में, विशेष रूप से बलूचिस्तान में महिलाओं की आजादी के खिलाफ हमला किया है।”

पाकिस्तानी सेना पर लगाए थे गंभीर आरोप
2019 मई में एक साक्षात्कार में पाकिस्तान को ब्लुचिस्तान के संसाधनों को पाकिस्तान के अन्य शहरों में ले जाने और सेना द्वारा बलूचिस्तान में अत्याचार और उत्पीड़न के साथ ही अपहरण करने का आरोप लगाया था। उन्होंने अपने आरोप में पाकिस्तान विरोध बलूचिस्तान के लोगों को खत्म करने का अभियान चलाने का आरोप लगाया था।

100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शामिल
2016 में, उन्हें बीबीसी द्वारा दुनिया की 100 सबसे “प्रेरणादायक और प्रभावशाली” महिलाओं में से एक के रूप में नामित किया गया था। इस पर उन्होंने कहा था कि वह “बलूचिस्तान स्वतंत्रता संग्राम में अनगिनत प्रेरणादायक महिलाओं के साथ” इसे साझा करेंगी।

इससे पहले भी होते रही हैं ऐसी हत्याएं

बलूचिस्तान पोस्ट ने कहा कि कार्यकर्ता की अचानक मौत ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। यह पहला मामला नहीं है, जब कोई पाकिस्तान की आलोचना करनेवाले को मृत पाया गया हो। मई 2020़ में बलूच पत्रकार साजिद हुसैन स्वीडन में मृत पाए गए थे। वह 2 मार्च से उप्साला शहर से गायब थे। पेरिस स्थित पत्रकारों के संगठन बॉर्डर्स (आरएसएफ) के रिपोर्टर्स ने आरोप लगाया था कि हुसैन के रहस्यमय ढंग से लापता होने और बाद में उसकी मौत में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों – आईएसआई और एमआई का हाथ हो सकता है। मिलिट्री इंटेलिजेंस के मुद्दे पर एक पत्रकार के रूप में काम के कारण उनकी मौत होने की बात कही गई थी। पाकिस्तानी सरककार और सेना से डरकर विदेशों में निर्वासित जीवन जीनेवाले असंतुष्ट पाकिस्तानियों और उनके परिजनों को तरह-तरह से सताए जाने का इतिहास बहुत पुराना है। उन्हें हमेशा अपनी जान पर खतरा मंडराता रहता है।

पाकिस्तानी सेना का 15 सालों से विरोध
बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक ऐसा प्रांत है, जहां पाकिस्तानी सेना पर निर्दोष लोगों के अपहरण और हत्या सहित मानवाधिकारों के हनन के आरोप लगते रहे हैं। संसाधन संपन्न बलूचिस्तान में 15 साल से अधिक समय से पाकिस्तान सरकार और सेना का विरोध हो रहा है। बलूचिस्तान से भागे हजारों बलूच राजनीतिक कार्यकर्ता यूरोपी देशों में शरण लेने को मजबूर हैं। इसके साथ ही कई पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता इन देशों में शरण लेना चाहते हैं।

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