प्याज का भाव भड़का, दाल से गायब हुआ तड़का

दाम आसमान में पहुंच जाने के कारण प्याज आम लोगों के बजट से बाहर हो गई है। लोग प्याज के दाम पूछ कर मुंह मोड़ने पर मजबूर हो गए हैं । जिनके घर में प्रति माह 5 किलों प्याज की खपत होती थी, वे अपना बजट कम कर 3 किलों पर आ गए हैं।

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इन दिनों ज्यादातर लोगों की रसोई में दाल में तड़का नहीं लग रहा है। वजह है, लगातार प्याज के दामों में हो रहा इजाफा। पिछले एक माह में प्याज के दाम में लगभग दोगुना बढ़ोत्तरी हुई है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसके बावजूद प्याज के भाव नीचे आने का नाम नहीं ले रहा है। मांग की तुलना में आपूर्ति नहीं होने के कारण इन दिनों मुम्बई शहर में प्याज के दाम 50 से 55 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है।

आम लोगों के बजट से हुआ बाहर
दाम आसमान पर पहुंच जाने के कारण प्याज आम लोगों के बजट से बाहर हो गई है। लोग प्याज के दाम पूछ कर मुंह मोड़ने पर मजबूर हो गए हैं । जिनके घर में प्रति माह 5 किलों प्याज की खपत होती थी, वे अपना बजट कम कर 3 किलों पर आ गए हैं। प्याज खरीदने आई शीतल पाटिल ने कहा, एक तो कोरोना संकट ने घर के इनकम पर ब्रेक लगा दिया है, दूसरे लगातार बढ़ती महंगाई ने जीना दुभर कर दिया है। समझ मे नहीं आ रहा कि परिवार को कैसे चलायें । प्याज के साथ ही अन्य सब्जियों के दाम भी आसमान पर हैं। आखिर लोग खाएं तो क्या खाएं।

 उम्मीदों पर क्यों फिरा पानी?
केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि 8-10 दिनों में प्याज के दाम कम हो जाएंगे लेकिन व्यापारियों ने प्याज को दबा कर रखा हुआ है। मुंबई के एक व्यापारी ने बताया कि नासिक और लासन गांव में प्याज की कमी नहीं है लेकिन व्यापारी मांग की तुलना मे माल नहीं निकाल रहे हैं। इसके चलते दाम में कमी नहीं आ रही है। नासिक के ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ किसानों ने प्याज तो स्टोर कर रखा है, लेकिन मार्केट में नहीं ला रहे हैं। उनका अनुमान है कि प्याज निर्यात पर रोक ज्यादा दिन तक नहीं लगाई जा सकती है और जैसे बैन हटेगा, वे प्याज निर्यात करेंगे ।

किसान बेहाल, व्यापारी मालामाल
एपीएमसी के सचिव अनिल चव्हाण ने हिंदुस्थान पोस्ट को बताया कि मांग की तुलना में प्याज थोक बाजार में नहीं आ रही है। सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर रोक लगाने का फायदा यह हुआ है कि प्याज के दाम स्टेबल हैं। नहीं तो अब तक यह प्याज शतक लगा चुकी होती । उनका कहना है कि बाजार में 20 फीसदी किसान और 80 फीसदी ट्रेडर्स प्याज बेचने आते हैं ।अब लाख टके का सवाल है कि जब किसान अपनी प्याज पहले ही बेच चुके हैं तो ट्रेडर्स यह माल कहां से ला रहे हैं । इस बारे में पड़ताल करने पर एक नई जानकारी प्राप्त हुई। दरअस्ल किसान प्याज तो व्यापारी को पहले ही बेच देते हैं लेकिन व्यापारी कालाबाजारी के जुर्म में पकड़े जाने के डर से उसे किसानों के पास ही रहने देते हैं और जब उसका भाव बढ़ जाता है तो वे किसान से प्याज लेकर बाजार में बेचते हैं और  मालामाल हो जाते हैं, जबकि किसान हाथ मलते रह जाते हैं।

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