पश्चिम बंगाल शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार में नया मोड़, ओएमआर शीट के ऐसे उपयोग से जांच एजेंसियां भी सन्न

राज्य के शिक्षक नियुक्ति प्रकरण में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार के मंती, एसएससी का प्रबंधन सभी जिम्मेदार हैं। जांच रिपोर्ट में यह खुलासे हो रहे हैं। इस बीच ओएमआर शीट को लेकर बड़ा भेद सामने आया है।

West Bengal Recruitment Scam

पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के सिलसिले में नित नये खुलासे हो रहे हैं। भ्रष्टाचार किस कदर सुगम बना दिया गया था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीरभूम जिले के शांति निकेतन इलाके में एक बेकरी से केक खरीदने पर उसका पैकेट ओएमआर शीट से बना हुआ मिला है। इसकी जानकारी मिलते ही केंद्रीय एजेंसियों ने पड़ताल शुरू कर दी गई है।

खुल गया प्रबंधकों का नंबर गेम
इधर सीबीआई के एक सूत्र ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया है कि भ्रष्टाचार मामले में ओएमआर शीट की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पूरी साजिश एसएससी के तत्कालीन प्रबंधकों ने रची थी। जिन्होंने लिखित परीक्षा में जीरो अंक हासिल किए उन्हें गैरकानूनी तरीके से नियुक्त करने के लिए एसएससी के सर्वर पर नंबर बढ़ाकर 54 कर दिया गया। किसी को अगर एक नंबर मिला था तो उसे 56 नंबर दिए गए। इसकी बानगी एसएससी की वेबसाइट पर भी देखने को मिली है। न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की तल्ख टिप्पणी के बाद एसएससी ने 3478 ऐसे परीक्षार्थियों का ओएमआर शीट वेबसाइट पर डाला है। इसी में इस बात की जानकारी दी गई है कि किस परीक्षार्थी को लिखित परीक्षा में कितने नंबर मिले थे और गैरकानूनी तरीके से उन्हें नियुक्त करने के लिए सर्वर पर कितने नंबर बढ़ाए गए। इनमें से 3030 लोगों का नंबर आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ाया गया है। इन्हें लिखित परीक्षा में जो नंबर मिले हैं उन्हें ओएमआर शीट संबंधी एसएससी के सर्वर पर कई गुना बढ़ाकर नंबर दिए गए हैं जिसकी वजह से उन्हें नौकरी मिली है।

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नंबर के बदले रुपए
एसएससी की वेबसाइट पर प्रकाशित सूची पर जिनका सीरियल नंबर 3031 से 3392 है उनका लिखित परीक्षा में प्राप्तांक और एसएससी के सर्वर पर ओएमआर का प्राप्तांक एक ही है। हालांकि उसके बाद 3392 से अंतिम तक जो सूची है उसमें प्राप्तांक और ओएमआर नंबर में बड़ा अंतर है। सीबीआई के एक सूत्र ने बताया है कि रुपये के एवज में उन लोगों के नंबर बढ़ाए गए जिन्हें गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किया जाना था। इनमें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की सहमति से एसएससी के पूर्व सलाहकार और सभी संबंधित अधिकारी शामिल रहे हैं। राज्य भर में फैले भ्रष्टाचार के एजेंट ऐसे उम्मीदवारों की सूची भेजते थे जिनसे रुपयो की वसूली की जाती थी और उसी के मुताबिक नंबर बढ़ा कर नौकरी दी जाती थी। उल्लेखनीय है कि ईडी ने दो दिन पहले ही कोर्ट में हलफनाना के जरिए दावा किया है कि नियुक्ति भ्रष्टाचार 350 करोड़ से अधिक का है।

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