जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) ने हाल ही में अपने कुलपति के लिए हिंदी शब्द ‘वाइस चांसलर’ (Vice-Chancellor) को बदलकर ‘कुलगुरु’ करने का फैसला किया है। यह कदम लैंगिक तटस्थता को बढ़ावा देने और भारत की पुरानी शैक्षिक परंपराओं के साथ तालमेल बिठाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस बदलाव की घोषणा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने की है।
जेएनयू (JNU) की मौजूदा कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित (Prof. Shantishri Dhulipudi Pandit) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (Executive Council) की बैठक में यह प्रस्ताव पेश किया है। इस फैसले के इसी वर्ष में ही लागू होने की संभावना है। इसे डिग्री सर्टिफिकेट और दूसरे आधिकारिक दस्तावेजों में शामिल किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अब जेएनयू के मौजूदा वाइस चांसलर जिन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करेंगे, उनमें कुलपति की जगह कुलगुरु शब्द लिखा होगा।
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भारतीय परंपरा से जुड़ाव
‘कुलगुरु’ शब्द की जड़ें भारत की प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा में हैं। पुराने समय में शिक्षा का केंद्र गुरुकुल हुआ करता था और वहां शिक्षा देने वाले को कुलगुरु कहा जाता था। वह शिक्षक ही नहीं बल्कि मार्गदर्शक भी होता था। इस परंपरा में ‘गुरु’ को न केवल ज्ञान प्रदाता बल्कि नैतिक और मानसिक रूप से मजबूत करने वाला भी माना जाता था।
अन्य राज्यों में भी रखा जा चुका है प्रस्ताव
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब किसी संस्थान ने कुलपति को कुलगुरु कहने की बात कही हो। इससे पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में विश्वविद्यालयों में ‘कुलपति’ की जगह ‘कुलगुरु’ शब्द अपनाने का प्रस्ताव आ चुका है।
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