– रमेश सर्राफ धमोरा
Naxalism: पिछले छह दशकों से देश में नासूर बनकर उभरा नक्सलवाद (Naxalism) अब समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने संसद (Parliament) में घोषणा की है कि 31 मार्च 2026 तक देश में नक्सलवाद को समाप्त कर दिया जाएगा। गृहमंत्री द्वारा की गई यह एक बहुत बड़ी घोषणा है। गत 60 वर्षों से देश नक्सलवाद की समस्या से बुरी तरह पीड़ित रहा है। इस दौरान देश में कई सरकारें आईं और चली गईं, मगर नक्सलवाद का नासूर दिनों-दिन बढ़ता ही रहा था।
देश के कई प्रदेशों में तो बहुत बड़े हिस्से में नक्सलवादी अपनी समानांतर सरकार तक चलाते थे। वहां केंद्र व राज्य सरकार का कोई असर नहीं दिखता था। नक्सलियों का फरमान ही अंतिम आदेश होता था, जिसे लोग मानने को मजबूर थे। मगर अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान की सफलता से नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। कई बड़े नक्सली कमांडर सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में ढेर हो चुके हैं या फिर उन्होंने सरेंडर कर अपनी जान बचा ली है।
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2026 तक नक्सलवाद पूरी तरह खत्म?
गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों कहा कि नक्सलवाद मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत ने वामपंथी उग्रवाद से अति प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटाकर 6 कर दी है। उन्होंने नक्सलवाद को खत्म करने के लिए मोदी सरकार के दृष्टिकोण पर रोशनी डालते हुए और सभी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने के लिए देश की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। कहा था कि मोदी सरकार सर्वव्यापी विकास के लिए अथक प्रयासों और नक्सलवाद के खिलाफ दृढ़ रुख के साथ सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध भारत बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। हम 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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देश में नक्सलियों की संख्या में कमी!
गृह मंत्रालय के अनुसार, भारत में नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की कुल संख्या पहले 38 थी। इनमें से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या अब घटकर 6 हो गई है। साथ ही चिंता के जिलों और अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या में भी कमी आई है। नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित छह जिलों में अब छत्तीसगढ़ में चार जिले बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा, जबकि झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला व महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला शामिल है। इसके अतिरिक्त चिंता जिलों की संख्या जिन्हें गहन संसाधनों और ध्यान की आवश्यकता है 9 से घटकर 6 रह गई हैं। ये जिले आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू, मध्य प्रदेश में बालाघाट, ओडिशा में कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी और तेलंगाना में भद्राद्री-कोठागुडेम हैं।
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जीरो टॉलरेंस की नीति से हुआ असर
नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के चलते वर्ष 2025 में अब तक केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ों में कम से कम 130 नक्सली मारे गए हैं। इनमें से 110 से ज्यादा बस्तर संभाग में मारे गए जिसमें बीजापुर और कांकेर समेत सात जिले शामिल हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से 105 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 2025 में अब तक 164 ने आत्मसमर्पण कर दिया है। वहीं, इससे पहले वर्ष 2024 में 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज किया गया था 1090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया था। अभी तक कुल 15 शीर्ष नक्सली नेताओं को न्यूट्रलाइज किया जा चुका है।
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नक्सलवाद और शहरी नक्सलवाद के बीच अंतर
सरकार एक तरफ जहां नक्सलवाद को समाप्त करने की घोषणा कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ शहरी नक्सलवाद जिसे अर्बन नक्सलवाद भी कहा जाता है तेजी से उभर रहा है। यह पारंपरिक ग्रामीण नक्सलवाद से अलग है क्योंकि इसका फोकस शहरों और शहरी इलाकों में होता है। शहरी नक्सली विचारधारा के समर्थक, जिनमें शिक्षाविद, छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शामिल होते हैं। नक्सलवादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करते हैं। वे विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक माध्यमों से अपनी विचारधारा फैलाते हैं और व्यवस्था के खिलाफ असंतोष को भड़काते हैं।
नक्सलवाद-मुक्त भारत
देश में नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र सरकार के समग्र प्रयासों का असर दिखने लगा है। सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि अब देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में कमी हो रही है। सरकार ने नक्सलवाद-मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। देश में वामपंथी उग्रवाद से अति प्रभावित जिलों की संख्या में कमी आना इस आंदोलन की समाप्ति के संकेत है।
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आने वाले समय में विजय?
कई बड़े नक्सली कमांडरों का एनकाउंटर होने के बाद डर कर बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। आने वाले समय में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शांति व्याप्त होगी। जो सरकार व आमजन की एक बड़ी जीत होगी।
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