बड़ी खबर ! एयर इंडिया की 68 साल बाद घर वापसी, आधिकारिक घोषणा जल्द

टाटा संस ने आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए बोली लगाई थी। यह जानकारी कंपनी के प्रवक्ता ने दी थी।

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राष्ट्रीय एयरलाइंस एयर इंडिया की 68 साल बाद घर वापसी हो गई है। टाटा संस ने इसकी सबसे ज्यादा बोली लगाकर इसे फिर से अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाले मंत्रिस्तरीय पैनल ने इस बोली को मंजूरी दे दी है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार एयर इंडिया पर टाटा संस का कब्जा होना निश्चित है। इसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी।

टाटा संस ने आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए बोली लगाई थी। यह जानकारी कंपनी के प्रवक्ता ने दी थी। दूसरी ओर, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने भी कहा था कि उसे टाटा संस से खरीद के लिए एक प्रस्ताव मिला है। अगर टाटा की बोली सफल होती है तो 67 साल बाद एक बार फिर एयर इंडिया का स्वामित्व टाटा के पास जाएगा।

1932 में की थी शुरुआत
टाटा समूह ने 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया की शुरुआत की थी। इसके बाद 1953 में इसे भारत सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया। एयर इंडिया के अधिग्रहण के साथ, 4,000 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए विमान के साथ ही उनके लिए पार्किंग स्थान भी उपलब्ध होगा।

ट्वीट कर दी थी जानकारी
“एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए कई प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। हमें टाटा संस से भी एक प्रस्ताव मिला है।” डीआइपीएएम के सचिव तुहीन कांत पांडे ने 15 सितंबर को ट्वीट कर यह जानकारी दी थी।

पीछे की कहानी
एयर इंडिया को बेचने का सिलसिला जनवरी 2020 में शुरू हुआ था। लेकिन कोरोना संकट ने इसमें देरी हो गई। अप्रैल 2021 में सरकार ने एक बार फिर कंपनियों पर बोली लगाने की पेशकश की। बोली लगाने का 15 सितंबर आखिरी दिन था। साल 2020 में भी टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया को खरीदने का प्रस्ताव रखा था। इससे पहले 2017 में सरकार ने एयर इंडिया की नीलामी शुरू की थी। लेकिन तब किसी कंपनी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। 2007 में इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद एयर इंडिया को घाटा होने लगा। फिलहाल एयर इंडिया पर 60,074 करोड़ रुपये का कर्ज है। हालांकि, खरीदने वाली कंपनी टाटा संस को 23,286.5 करोड़ रुपए ही चुकाने होंगे। शेष ऋण विशेष रूप से गठित एयर इंडिया एसेट होल्डिंग्स लिमिटेड को हस्तांतरित किया जाएगा। इसका मतलब है कि बाकी कर्ज सरकार वहन करेगी।

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