Murshidabad Violence: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम Waqf (Amendment) Act को लेकर मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा (Murshidabad violence) के मद्देनजर पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आपातकाल लागू करने के लिए विष्णु शंकर जैन की मांग वाली याचिका पर तत्काल कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया है।
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 355 को लागू करने की भी मांग की गई। यह मामला न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
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राष्ट्रपति को सूचित करने की मांग
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि चूंकि स्थिति गंभीर है, इसलिए केंद्र को धारा 355 के तहत कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन कोर्ट ने इस पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इस पर कोर्ट ने कहा, “हम पर पहले से ही विधायी अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया जा रहा है, ऐसे में क्या आपको लगता है कि राष्ट्रपति को निर्देश दिए जाने चाहिए?” यह मांग स्वीकार नहीं की जा सकती। अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। याचिका में यह भी मांग की गई है कि मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की जाए।
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अनुच्छेद 355 को लागू करने का अनुरोध
हाल ही में एक अन्य मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यपाल और राष्ट्रपति से कहा कि वे तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को निर्धारित समय के भीतर अपनी स्वीकृति दें। इसके बाद न्यायालय पर विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने के आरोप लगे। वकील विष्णु शंकर ने अदालत से बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए अनुच्छेद 355 को लागू करने का अनुरोध किया। इसमें जब राज्य सरकार संविधान के अनुसार काम नहीं कर रही हो तो केंद्र को हस्तक्षेप करने का अधिकार है। अदालत ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी मांगों पर विचार करने से पहले संवैधानिक सीमाओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
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धारा 355 और धारा 356 में क्या अंतर है?
संविधान के अनुच्छेद 355 और 356 में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण अंतर यह है कि अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है और राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता है, जबकि अनुच्छेद 355 के तहत ऐसा नहीं होता है। राज्य सरकार तो बनी रहेगी, लेकिन राज्य की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए कदम उठाने की सारी शक्तियां केंद्र के पास चली जाएंगी। राज्य पुलिस सीधे केंद्र के आदेश के तहत काम करती है। (मुर्शिदाबाद हिंसा)
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