… इसलिए सर्वेक्षण समाधान नहीं

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राज्य सरकार द्वारा मुंबई के फेरीवालों के फिर से सर्वेक्षण कराने के फैसले के बाद इसे लेकर फेरीवालों ने नारागी जताई है।उनका कहना है कि फेरीवालों का सर्वेक्षण समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने सर्वेक्षण की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब तक उस नीति में बदलाव नहीं किया जाता तब तक इससे फेरीवालों की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है।

क्या है आरोप?
उनका कहना है कि सर्वेक्षण करना तो ठीक है लेकिन बिना हमें व्यवसाय करने की इजाजत दिए इसका क्या महत्व है। उनका कहना है कि सरकार की नीति है कि फेरीवालों को सड़क के किनारे व्यवसाय करने की इजाजत न दी जाए, फिर वे व्यवसाय करने कहां जाएंगे। उनका कहना है कि 2014 में जो फेरीवालों का सर्वेक्षण किया गया था, आखिर उसका नतीजा क्या निकला। इसलिए सर्वेक्षण से पहले नीति में बदलाव जरुरी है।

2014 के सर्वेक्षण से नहीं हुआ समस्या का समाधान
2014 के सर्वेक्षण में मुंबई में 30 हजार स्थानों पर फेरीवालों को व्यवसाय करने की इजाजत दिए जाने का निर्णय लिया गया था। उनपर पहले चरण में 15 हजार फेरीवालों को अलग-अलग जगहों पर व्यवसाय करने की इजजात देने का निर्णय लिया था, लेकिन इसके लिए बनाई गई समिति में स्थानीय नगरसेवकों के शामिल किए जाने की मांग जोर पकड़ने के बाद यह मामला अधर में लटक गया।

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मुंबई आजाद हॉकर्स यूनियन के अध्यक्ष शंशाक राव की मांगः

  •  पिछले पांच वर्षों के फेरीवालों का सर्वक्षण किया जाना चाहिए।
  • 10 फुट से ज्यादा चौड़ी सड़कों के किनारे फेरीवालों को व्यवसाय करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
  • रेलवे स्टेशनों, विद्यालय-कॉलेज, अस्पताल, महानगरपालिका बाजार और धार्मिक स्थलों के पास 100 से 150 मीटर के व्यास में फेरी लगाने पर पाबंदी है। इस नियम को बदलने की जरुरत है।
  • जब तक नये नियम नहीं बनाए जाएंगे, तब तक कितनी ही बार सर्वेक्षण हो, फेरीवालों का पुनर्वसन संभव नहीं है और यह समस्या बरकरार रहेगी

फेरीवालों को फंसाने का काम
आजाद हॉकर्स यूनियन के दयाशंकर सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकार फोरीवालों को फंसाने का काम कर रही है। पांच वर्षों बाद यह सर्वेक्षण होने जा रहा है। लेकिन इससे पहले किए गए सर्वेक्षण के अनुसार फेरीवालों को व्यवसाय तो करने दिया जाए। अगर हम जगह पर बैठेंगे ही नहीं तो सर्वेक्षण किसका किया जाएगा। अगस्त 2014 के सर्वेक्षण पर अमल करते हुए अधिकृत फेरीवालों को व्यवसाय करने की इजाजत दी जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं,और सिर्फ उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती रही।

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