मनी लाउंड्रिंग मामलाः पुनर्विचार याचिका पर केंद्र को सर्वोच्च नोटिस, सीजेआई ने की ये टिप्पणी

मनी लाउंड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देते हुए दो सौ के आसपास याचिकाएं दायर की गई थीं।

120

सर्वोच्च न्यायालय ने मनी लाउंड्रिंग मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हम सिर्फ दो पहलुओं को दोबारा विचार करने लायक मानते हैं। कोर्ट ने कहा कि ईसीआईआर (ईडी की तरफ से दर्ज एफआईआर) की रिपोर्ट आरोपी को न देने का प्रावधान और खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर होने का प्रावधान पर दोबारा सुनवाई करने की जरूरत है।

पुनर्विचार याचिका कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने दायर की है। मनी लाउंड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देते हुए दो सौ के आसपास याचिकाएं दायर की गई थीं,जिस पर 27 जुलाई को जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाया था।

ये भी पढ़ें – झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जोर का झटका, विधानसभा की सदस्यता रद्दः सूत्र

गिरफ्तार करने और जमानत की सख्त शर्तों को बरकरार रखा
सर्वोच्च न्यायालय ने 27 जुलाई को अपने फैसले में ईडी की शक्ति और गिरफ्तारी के अधिकार को बहाल रखने का आदेश दिया था। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत ईडी को मिले विशेषाधिकारों को बरकरार रखा था। कोर्ट ने पूछताछ के लिए गवाहों, आरोपियों को समन, संपत्ति जब्त करने, छापा डालने, गिरफ्तार करने और जमानत की सख्त शर्तों को बरकरार रखा था।

न्यायालय ने की थी ये टिप्पणी
कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर चार हफ्ते की रोक लगाई थी ताकि वे सक्षम कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर सकें। कोर्ट ने कहा था कि मनी लाउंड्रिंग एक्ट में किए गए संशोधन को वित्त विधेयक की तरह पारित करने के खिलाफ मामले पर बड़ी बेंच फैसला करेगी। कोर्ट ने कहा था कि मनी लाउंड्रिंग एक्ट की धारा 3 का दायरा बड़ा है। कोर्ट ने कहा था कि धारा 5 संवैधानिक रुप से वैध है। कोर्ट ने कहा कि धारा 19 और 44 को चुनौती देने की दलीलें दमदार नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि ईसीआईआर एफआईआर की तरह नहीं है और यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है। एफआईआर दर्ज नहीं होने पर भी संपत्ति को जब्त करने से रोका नहीं जा सकता है। एफआईआर की तरह ईसीआईआर आरोपी को उपलब्ध कराना बाध्यकारी नहीं है। जब आरोपी स्पेशल कोर्ट के समक्ष हो तो वह दस्तावेज की मांग कर सकता है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.