चिकित्सा शिक्षा को सस्ता और सुलभ बनाना मोदी सरकार का लक्ष्यः Dr. Jitendra Singh

डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्मरण कराया कि मोदी सरकार (Modi government) ने हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती और बंगाली जैसी क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं (regional indian languages) में मेडिकल और इंजीनियरिंग शिक्षा प्रदान करने का आह्वान किया है।

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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr. Jitendra Singh) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली सरकार का लक्ष्य चिकित्सा शिक्षा को सस्ता और सुलभ बनाना है। ताकि किसी भी पात्र व्यक्ति को उसकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण किसी हानि का सामना न करना पड़े।

सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या पहुंची 260
भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, चेन्नई के स्टेनली मेडिकल कॉलेज (Stanley Medical College) में मुख्य अतिथि के रूप में एक अकादमिक बैठक को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा इस सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रही है, जिसका अनुमान आंकड़ों से लगाया जा सकता है। मात्र 145 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से यह संख्या बढ़कर 260 हो गई है। उन्होंने कहा कि नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (AIIMS) की स्थापना के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना के अंतर्गत 22 एम्स को स्वीकृति दी गई है, जबकि 19 एम्स में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो गए हैं। मंत्री ने कहा कि एमबीबीएस (MBBS) स्नातक पाठ्क्रम (यूजी) सीटों की संख्या 2014 में 51,348 से बढ़कर अब 91,927 सीटें हो गई है जो 79 प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर (पीजी) सीटों की संख्या 2014 की 31,185 सीटों से 93 प्रतिशत बढ़कर अब 60,202 सीटें हो गई है।

क्षेत्रीय भाषाओं में मेडिकल शिक्षा का आह्वान
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और प्रवासी भारतीय कोटा के अंतर्गत महाविद्यालयों में पिछले दरवाजे से प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से नीट यूजी के लिए मानदंड को संशोधित करने की मांग की है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्मरण कराया कि मोदी सरकार (Modi government) ने हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती और बंगाली जैसी क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं (regional indian languages) में मेडिकल और इंजीनियरिंग शिक्षा प्रदान करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो गई है और शीघ्र ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू होगी और इंजीनियरिंग की पुस्तकों का देश भर में आठ भाषाओं में अनुवाद भी शुरू हो गया है और आने वाले समय में देश भर के छात्र अपनी मातृभाषा में तकनीकी और मेडिकल शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।

कोविड-19 में दुनिया ने भारत की भूमिका को पहचाना
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने कोविड-19 (COVID-19) के दौरान भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को पहचाना, क्योंकि तब इसने पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म कोविन के माध्यम से 220 करोड़ से अधिक टीकाकरण करने की दुर्लभ उपलब्धि हासिल की और यह प्रक्रिया अब भी जारी है,” उन्होंने कहा, “भारत ने 130 करोड़ लोगों के साथ शेष विश्व को कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में रास्ता दिखाया और कई देशों, विशेषकर पड़ोसियों को टीकों से सहायता भी की।” विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि कोविड के दौरान पश्चिम ने भी आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, योग, प्राकृतिक चिकित्सा आदि से ली गई प्रतिरक्षा निर्माण तकनीकों की खोज में भारत की ओर देखना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा कि “भारत में स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र के वर्ष 2025 तक बढ़कर 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जबकि वैश्विक चिकित्सा पर्यटन बाजार लगभग 72 बिलियन डॉलर का होने का अनुमान है। इस वर्ष के अंत तक चिकित्सा पर्यटन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 10 बिलियन डॉलर होने की आशा है। इसके अलावा, देश जेनेरिक दवाओं का विश्व में सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।

स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर बनेगा नया भारत
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रधानमन्त्री मोदी की दूरदर्शिता थी कि 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, उन्होंने विश्व में कोविड-19 के आने से बहुत पहले ही ‘डिजिटल इंडिया’ (Digital India) का शक्तिशाली दृष्टिकोण साझा कर दिया था। डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) अब तक विश्व की सबसे अच्छी स्वास्थ्य बीमा योजना है और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही जाता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चिकित्सा के विभिन्न विज्ञानों और क्षेत्रों को एकीकृत करके ही नया भारत स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भर बनेगा।

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