कांजुरमार्ग कारशेड : बताया था मुफ्त का भूखंड अब पैसा देने के लिए तैयार… जानिये कारशेड की कहानी

आरे कॉलोनी में बन रहे कारशेड को शिवसेना का विरोध था। जब वह महाविकास आघाड़ी के साथ सत्ता में आई तो उसने सबसे पहले आरे कारशेड के प्रस्ताव को रद्द कर दिया। इसे कांजुरमार्ग में बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए राज्य सरकार के आदेश पर एमएमआरडीए ने आनन-फानन में काम शुरू कर दिया।

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कांजुरमार्ग के भूखंड पर मेट्रो 3,4 और 6 का कारशेड बनाने के लिए मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने मुंबई उच्च न्यायालय में नई गुहार लगाई है। उसने मांग की है कि न्यायालय मेट्रो का कार्य शुरू करने की मंजूरी दे। इस भूखंड को महाविकास आघाड़ी ने मुफ्त में बताया था जिस पर अब भुगतान करने के लिए एक निवेदन पत्र न्यायालय में दायर किया गया है।

महाविकास आघाड़ी के मुखिया मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आश्वस्त किया था कि कांजुरमार्ग का भूखंड मुफ्त में मिला है। लेकिन अब एमएमआरडीए ने मुंबई उच्च न्यायालय में निवेदन पत्र पेश किया है। जिसमें उसने कहा कि, वो संबंधित भूखंड के उन दावेदारों को जो उसे साबित करते हैं, को हरजाना देने को तैयार हैं। इस संबंध में निवेदन पत्र पिछले महीने ही दायर किया गया है। इस भूखंड के मालिकाना अधिकार पर मंगलवार को सुनवाई हुई जिसमें एमएमआरडीए की ओर से न्यायालय से कार्य शुरू करने की अनुमति देने की मांग की गई है।

एमएमआरडीए को हो रहा है नुकसान
अपने निवेदन में एमएमआरडीए ने उल्लेख किया है कि बिना कारशेड के निर्माण के मेट्रो 3 (कोलाबा-बांद्रा-सिप्ज), मेट्रो 4 (कासरवडवली से वडाला) मेट्रो 6 (लोखंडवाला से विक्रोली) को कार्यरत् नहीं किया जा सकता है। इससे जनता को समस्या होगी और परियोजना का आर्थिक बोझ बढ़ेगा व एमएमआरडीए को बड़ा नुकसान होगा।

न्यायालय ने दिया है स्थगन आदेश
16 दिसंबर, 2020 को उच्च न्यायालय ने कांजुरमार्ग के भूखंड पर सभी प्रकार के कार्यों पर स्थगन आदेश दिया था। यह स्थगन आदेश मुंबई उपनगर जिलाधिकारी के उस आदेश के बाद जारी हुआ था जिसमें, 1 अक्टूबर 2020 को जिलाधिकारी ने 102 एकड़ के भूखंड को मेट्रो कारशेड के लिए आबंटित कर दिया था। इस भूखंड को केंद्र सरकार के नमक विभाग ने अपना बताया था और राज्य सरकार के अधिकार को चुनौती दी थी। इस मामले में उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी को भी खरी-खरी सुनाई थी।

12 मार्च को निर्णय
एमएमआरडीए के निवेदन पर उच्च न्यायालय 12 मार्च को अंतिम सुनवाई करेगा। जिसके बाद इस प्रकरण में निर्णय आने की संभावना है।

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