एसएससी भर्ती मामले (SSC Recruitment Case) को लेकर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की अगुआई वाली पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) के खिलाफ कोलकाता (Kolkata) के विकास भवन के बाहर शिक्षकों (Teachers) ने शनिवार (17 मई) को 11वें दिन भी अपना विरोध प्रदर्शन (Protest) जारी रखा। इस मामले में 26,000 शिक्षकों की नौकरी चली गई है। यह विरोध सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद हुआ है जिसमें कहा गया था कि पूरी भर्ती प्रक्रिया अनियमितताओं से भरी हुई है।
गौरतलब हो कि वर्ष 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। लेकिन परीक्षा के तुरंत बाद ही इसके खिलाफ भ्रष्टाचार, घोटाले और भाई-भतीजावाद के आरोप लगने लगे। इसके बाद हाईकोर्ट में इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गईं।
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शिक्षक भर्ती घोटाले बड़ा खेल
इन पर शुरुआती दौर में सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस कथित घोटाले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की। इसके अलावा सीबीआई को भी इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था। उनकी एक महिला मित्र के विभिन्न ठिकानों से करीब सौ करोड़ रुपये बरामद किए गए थे। जांच एजेंसी ने दावा किया था कि यह रकम शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ी है।
भाजपा का समर्थन
पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता और विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “हम उनके विरोध प्रदर्शन में उनका समर्थन कर रहे हैं। उनकी मांगें जायज हैं। राज्य में इस समस्या को पैदा करने के लिए ममता बनर्जी मुख्य दोषी हैं। ममता बनर्जी अक्षम हैं, उन्हें जाना चाहिए। आरजी कर आंदोलन से लेकर इस शिक्षक आंदोलन तक, भाजपा का रुख स्पष्ट है, हम उनका समर्थन कर रहे हैं। विधानसभा का मानसून सत्र 9 जून से शुरू होगा। इन मुद्दों को वहीं सुलझाया जाना चाहिए और अगर नहीं सुलझाया गया तो विधानसभा को बंद कर दिया जाना चाहिए।”
पुलिस और शिक्षक के बीच झड़प
बुधवार रात को एसएससी विरोध प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों और पुलिस के बीच झड़प में कई शिक्षक घायल हो गए, जब पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। यह सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि एसएससी की पूरी नियुक्ति प्रक्रिया ही दागदार है।
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