महाराष्ट्र में पुलिस सुरक्षा देश में अच्छी मानी जाती है। परंतु, पिछले दो वर्षों में एक चिंता राज्य में घेरी हुई है। वह है अपराधियों के खुले घूमने की। सूत्रों के अनुसार कारागृह के आंकड़ें बताते हैं कि, ६,४२६ अपराधी प्रवृत्ति के लोग समाज में खुले घूम रहे हैं।
कोरोना काल में कारागृह में भी कोरोना संक्रमण पहुंच गया था, इस परिस्थिति को नियंत्रित करने के लिए कारागृह प्रशासन ने आचरण को देखते हुए विभिन्न न्याय बंदियों को जमानत (अंतरिम) दी थी। राज्य के ४६ कारागृहों में बंद कुल बंदियों में से ६,५६३ अपराधी प्रवृति के लोगों को संचित छुट्टियां दी गई थीं।
वो लौट के फिर ना आए
महाराष्ट्र सरकार ने १ मई २०२२ को आपत्ति व्यवस्थापन कानून २००५ के अंतर्गत सभी कोविड-१९ प्रतिबंधों को वापस ले लिया। इसके बाद संचित छुट्टियों या अंतरिम जमानत पर गए ६,५६३ बंदियों को कारागृहों में वापस आने का आदेश दिया गया। परंतु, उनमें से मात्र ९९ न्याय बंदी ही लौटे हैं, जबकि ३९ बंदियों को नियमित जमानत की अनुमति दी गई है। इसके अनुसार ६४२६ बंदी वापस कारागृह में नहीं लौटे हैं।
गंभीर अपराध वाले भी भगोड़े
कारागृह प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि, जो न्याय बंदी बंद थे, उनमें गंभीर अपराधों में संलिप्त अपराधी प्रवृत्ति के लोगों का भी समावेश है। हालांकि, अधिकारियों ने यह भी आशंका व्यक्त की है कि, इनमें से हो सकता है कई लोग न्यायालय में सुनवाई के लिए जा रहे हों या नियमित जमानत की याचिका पर आदेश की प्रतीक्षा के अंतर्गत भी न लौटे हों।