Maharashtra: महाराष्ट्र के राजस्व विभाग ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को महाराष्ट्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए सख्त कानूनी कदम उठाए हैं। अधिनियम में संशोधन करके उन लोगों को पंजीकरण के लिए कठिन कानूनी प्रक्रिया से गुजरनी होगी, जिनका जन्म या मृत्यु का पंजीकरण एक वर्ष से अधिक समय से नहीं हुआ है।
राजस्व विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण से संबंधित मामलों को अत्यंत संवेदनशील तरीके से निपटाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं, क्योंकि ये मामले ‘अर्ध-न्यायिक’ होते हैं। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार, 12 मार्च 2025 को विधानसभा में यह बयान दिया।
पुख्ता सबूत नहीं होने पर होगी सीधी आपराधिक कार्रवाई
जिन आवेदकों के जन्म या मृत्यु को एक वर्ष से अधिक हो गया है तथा जिनके परिजनों को इन प्रमाण पत्रों की आवश्यकता है तथा जिनके पास इस संबंध में पुख्ता सबूत नहीं हैं, उनके खिलाफ सीधी आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 और महाराष्ट्र जन्म और मृत्यु पंजीकरण नियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार, एक वर्ष से अधिक की देरी से जन्म और मृत्यु रिकॉर्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया तय की गई है। जन्म स्थान के अभिलेखों की जांच के बाद प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
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पुलिस विभाग के माध्यम से निरीक्षण
इसके लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की गई है, जिसमें ग्राम सेवक, जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार, तहसीलदार, उप-विभागीय अधिकारी और जिला कलेक्टर को अपना कार्य किस प्रकार करना चाहिए, इसका उल्लेख किया गया है। यदि जानकारी गलत पाई गई और आवेदन में दी गई जानकारी झूठी पाई गई तो ग्राम सेवक से लेकर नगर निगम में जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार तक सभी को कारण सहित जन्म-मृत्यु अनुपलब्धता प्रमाण पत्र जारी करना होगा। संबंधित आवेदन की जांच पुलिस विभाग द्वारा की जाएगी। इसमें पुलिस की राय अनिवार्य कर दी गई है।