बाढ़ग्रस्तों के लिए पैकेज की घोषणा नहीं! फिर भी सीएम ने दिया मदद का भरोसा

30 जुलाई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोल्हापुर में बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा किया। क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात की।

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हाल ही में महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण प्रदेश के कई जिलों में हुए जल प्रलय तो खत्म हो गया है, लेकिन उसका साइड इफेक्ट भी कम भयावह नहीं है। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोल्हापुर का दौरा कर जल प्रलय से हुए नुकसान का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं पब्लिसिटी के लिए कोई घोषणा नहीं करूंगा। सीएम ने कहा कि चिपलून, कोल्हापुर और सांगली में बाढ़ का पानी अभी कम नहीं हुआ है, इसलिए नुकसान का अनुमान लगाना मुश्किल है। जब तक नुकसान की पूरी समीक्षा नहीं हो जाती, हम कोई घोषणा नहीं करेंगे।

समीक्षा के बाद केंद्र से मांगेंगे मदद
30 जुलाई को मुख्यमंत्री ठाकरे ने कोल्हापुर में बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा किया। क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि हमने केंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि एनडीआरएफ के नियमों में बदलाव की जरूरत है। ये नियम 2015 के हैं। इसे अब बदलने की जरूरत है। सीएम ने कहा कि कोविड महामारी के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति खराब है। ठाकरे ने कहा कि आपदा की समीक्षा किए बिना मैं कोई घोषणा नहीं करूंगा और न ही केंद्र से मदद मांगूंगा।

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राजस्व विभाग करेगा पंचनामा
सीएम ठाकरे ने कहा कि प्राकृतिक आपदा ने राज्य के मूलभूत ढांचे को नुकसान पहुंचाया है। उनका पुनर्निर्माण एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए बड़ी रकम की आवश्यकता होगी। हमने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। साथ ही बीमा कंपनियों को 50 प्रतिशत भुगतान करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही बैंकों से व्यापारियों को कम ब्याज दरों पर कर्ज उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया।

सर्वसम्मति से लिया जाएगा निर्णय
सीएम ने कहा कि राजस्व विभाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर पंचनामा तैयार करेगा। इस पंचनामा के आधार पर केंद्र को मदद करनी चाहिए। सीएम ने बताया कि दौरे के दरम्यान हमारी मुलाकात विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस से भी हुई। हम सभी राजनैतिक दल बैठकर इस बारे में सर्वसम्मति से निर्णय लेंगे। हम इस बारे में भी विचार करेंगे कि क्या भविष्य में ऐसा होने पर प्रभावित इलाके का पानी सूखाग्रस्त इलाको में पहुंचाया जा सकता है।

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