भगोड़े व्यवसाई विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर लंदन के न्यायालय में चल रही सुनवाई में जो टिप्पणी सामने आई है, वो कांग्रेस राज की अंधेरगर्दी को दर्शाती है। लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में किंगफिशर एयरलाइन को भारतीय बैकों द्वारा दिये गए ऋण के लेकर सुनवाई चल रही है। इसमें विजय माल्या के प्रत्यर्पण का प्रकरण भी है। जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट की न्यायाधीश ने पूछा है कि, क्या तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री प्रकरण में जिम्मेदार नहीं हैं?
क अंग्रेजी मीडिया हाऊस के अनुसार इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए जस्टिस एम्मा अर्बानॉट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, ”भारतीय बैंकों ने माल्या की एयरलाइन कंपनी किंगफिशर को कर्ज देने में अपने ही नियमों और विनियमों का घोर उल्लंघन किया है। यह ‘बंद आँखों से’ देखा जा सकता है।
मनमोहन सिंह पर ऋण दिलाने का आरोप
यह टिप्पणी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्तमंत्री पी.चिदंबरम द्वारा बैंक की आपत्ति के बावजूद माल्या को ऋण देने के आदेश देने के संदर्भ में थी। लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट की न्यायाधीश एम्मा अर्बनॉट ने उनके द्वारा किए गए कदाचार और भ्रष्टाचार को खुले तौर पर उजागर किया है। भारतीय बैंक विजय माल्या को कर्ज दे रहे हैं। “क्या किसी बैंक अधिकारी को देश के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री द्वारा पत्र लिखकर दिए गए आदेश को खारिज करने का अधिकार है।”
क्या मनमोहन और चिदंबरम जिम्मेदार नहीं?
वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट की जज एम्मा अर्बनॉट ने भारत से पूछा है कि, बैंकों के हजारो करोड़ रुपए डुबानेवाले विजय माल्या से ज्यादा भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्तमंत्री पी चिदंबरम क्या जिम्मेदार नहीं थे?