कनाडा में शिक्षा ले रहे 700 छात्रों के सामने प्रत्यर्पण का संकट है। इन छात्रों को कनाडियन बॉर्डर सिक्योरिटी एजेंसी (सीपीएसए) ने प्रत्यर्पण की नोटिस जारी की है। एजेंसी के अनुसार इन सभी छात्रों के कागज फर्जी पाए गए हैं।
छात्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उन्होंने जालंधर की ‘एजुकेशन माइग्रेशन सर्विस’ के माध्यम से वीजा आवेदन किया था। इस कंपनी का मालिक ब्रिजेश मिश्रा है। इन छात्रों को वीजा दिलाने के लिए ब्रिजेश मिश्रा ने प्रति छात्र 16 लाख रुपए के लगभग लिये थे। जिसमें कनाडा के ओंटारियो में स्थित हंबर कॉलेज की फीस भी शामिल थी। इसमें टिकट के पैसे और सिक्योरिटी डिपॉजिट शामिल नहीं है। सूत्रों के अनुसार ब्रिजेश ने प्रति छात्र 5 से 6 लाख रुपए कमाए हैं। इसमें ब्रिजेश मिश्रा ने छात्रों को उस कॉलेज का ऑफर लेटर दिया था, कनाडा पहुंचने के बाद जहां यह छात्र पढ़े ही नहीं। कनाडा पहुंचने के बाद छात्रों को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित कर दिया गया या कुछ को अगले सत्र तक प्रतीक्षा करने को कहा गया। इन छात्रों को दिये गए पत्रों की जब कनाडा की एजेंसी ने जांच की तो वह फर्जी पाए गए। ऐसे छात्रों की संख्या देखते ही देखते 700 तक पहुंच गई है।
छात्रों से ठगी का पुराना इतिहास!
ब्रिजेश मिश्रा पर छात्रों से ठगी करने का यह पहला आरोप नहीं है। इसके पहले वर्ष 2013 में उस पर फर्जी कागजों के आधार पर छात्रों के विदेश भेजने का आरोप लग चुका है। उस समय वह भागीदारों के साथ ‘ईजी वे इमिग्रेशन कंसल्टेन्सी’ चलाता था। शिकायतें मिलने के बाद पुलिस ने उसके कार्यालय में छापा मारा था, जहां से नकदी, पासपोर्ट और छात्रों के कागजात मिले थे।
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इजी वे इमिग्रेशन कंसल्टेन्सी के बाद ब्रिजेश मिश्रा ने दूसरी कंपनी शुरू की, जिसका नाम इजुकेशन माइग्रेशन सर्विसेस शुरू की। इसका कार्यालय जालंधर के ग्रीन पार्क में था। ब्रिजेश मिश्रा ने यहां प्रति छात्र 16 लाख रुपए लिये थे। जिसमें कनाडा स्थित हंबर कॉलेज की प्रवेश फीस शामिल था। ब्रिजेश ने इसमें दिल्ली की एक प्रमुख कंपनी की सहायता ली थी। प्रति छात्र उसने 5 से 6 लाख रुपए कमाए हैं।
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