क्या है पुरूलिया आर्म्स ड्रॉप प्रकरण?

भारत ने 23 फरवरी को पुरूलिया आर्म्स ड्रॉप षड्यंत्र के प्रमुख आरोपी के प्रत्यर्पण के प्रकरण को जीत लिया है। किम पीटर डेवी का प्रत्यर्पण देश के लिए जीरो टॉलरेन्स वाले उद्देश्य का सफल प्रमाण माना जा सकता है।

177

पुरूलिया आर्म्स ड्रॉप प्रकरण एक सुनियोजित षड्यंत्र था। जिसे तत्कालीन पश्चिम बंगाल सरकार को सत्ता से हटाने के लिए सशस्त्र आंदोलन करवाने के लिए रचा गया था। इस प्रकरण में डेनमार्क का किम पीटर डेवी प्रमुख आरोपी है।

17 दिसंबर, 1995 को पुरूलिया गांव के लोगों की आंखें हवाई जहाज की कर्कश ध्वनि से खुली। उन्होंने देखा कि आकाश से एन्टोनोव एएन-26 लातवियन एयरक्राफ्ट के माध्यम से बड़ी संख्या में सामान नीचे छोड़े जा रहे हैं। पुरूलिया के गांव झाल्दा, खाटांगा, बेलामू और मेरामू में आकाश से नीचे आते हुए यह पार्सल ग्रामीणों ने देखे थे। जिसके पश्चात इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दी गई थी।

ये भी पढ़ें – अब भारत लाया जाएगा यह मोस्ट वांटेड आरोपी!

क्या था आकाश से आए पार्सल में?
आकाश से एन्टोनोव एएन-26 लातवियन एयरक्राफ्ट के माध्यम से नीचे फेंके गए पार्सल की जानकारी पुलिस को मिलते ही, प्रशासन सक्रिय हो गया। उसने इस पार्सल को अपने कब्जे में ले लिया। जब इसकी जांच की गई तो इसमें सैकड़ो की संख्या में एक-47 राईफल, ग्रेनेड रॉकेट लॉंचर्स, सोलह हजार राउंड गोलियां आदि निकले।

किम डेवी पर आरोप
डेनमार्क का नागरिक किम डेवी इस प्रकरण में मुख्य षड्यंत्रकर्ता है। जिस एन्टोनोव एएन-26 लातवियन एयरक्राफ्ट से हथियारों को नीचे फेंका गया था, उसमें किम डेवी सवार था। हालांकि, किम पीटर डेवी कहता रहा है कि, वह मानवीय सहायता मिशन में तैनात था। इस प्रकरण में भारत सरकार किम डेवी का को लंबे समय से तलाशती रही, वर्ष 2007 में डेनमार्क की सरकार ने किम को ढूंढ निकाला। वर्ष 2010 में डेनमार्क सरकार ने किम डेवी के प्रत्यर्पण का निर्णय लिया था। परंतु, यह निर्णय डेनमार्क उच्च न्यायालय में स्थगित हो गया।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.