14 सितंबर, 2021 को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने अलग-अलग स्थानों से 6 आतंकियों को गिरफ्तार किया। इसमें जान मोहम्मद अली शेख उर्फ समीर (47 वर्ष), उस्मान (22 वर्ष), मूलचंद (47 वर्ष), जिशान कमर (28 वर्ष), मोहम्मद अबू बकर (23 वर्ष) और मोहम्मद आमिर जावेद (31 वर्ष) का समावेश है। इनमें से मुंबई के सायन में रहनेवाला जान मोहम्मद अली शेख जब मुंबई सेंट्रल से दिल्ली के लिए ट्रेन से रवाना हुआ था, तो उसे कोटा से गिरफ्तार किया गया। दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने उसके पास से डेढ़ किलो ‘आरडीएक्स’ बरामद किया है। उससे पूछताछ में सामने आया कि, त्यौहारों के काल में इन सभी का षड्यंत्र आतंकी हमले करने का था। जिसमें ‘आईएसआईएस’ से ‘अल-कायदा’ समेत सभी आतंकी संगठन सामूहिक रूप से हमला करने की योजना में थे। 1993 की भांति श्रृंखलाबद्ध बम धमाके, मुंबई की लोकल ट्रेन में विस्फोट करना और उसके लिये रेकी करने की इनकी योजना थी।
आतंकियों ने ऐसे की तैयारी
जान मोहम्मद के पिता ओसामा दुबई में मदरसा चलाते हैं। उनके और उनके भाई के कहने पर ही यह षड्यंत्र रचा गया। दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस ने हवाला के माध्याम से धन उपलब्ध कराए। जान मोहम्मद और उस्मान जनवरी में मस्कत गए थे। वहां से पासपोर्ट पर स्थलांतर का ठप्पा न लगाते हुए ये दोनों अन्य चौदह बंगाली भाषियों के साथ बोट से पाकिस्तान के ‘थट्टा’ स्थित आतंकी कैंप में रवाना हो गए। इसी आतंकी कैंप में वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमले के दोषी कसाब को प्रशिक्षण दिया गया था। इन आतंकियों के पास से मिले विस्फोटक अगस्त की शुरुआत में ही पंजाब (अमृतसर) के सीमाई भाग में ‘ड्रोन’ के जरिये पहुंचाए गए थे। वहां से अन्य स्थानों पर पहुंचाने की जिम्मेदारी इन आतंकियों को सौंपी गई थी। परंतु, इन आतंकियों को समय रहते गिरफ्तार कर लिये जाने के कारण बड़ी आतंकी साजिश का भंडाफोड़ हो गया।
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पाकिस्तानी सेना ने उपलब्ध कराए ‘आरडीएक्स’
इन जानकारियों से यह स्पष्ट है कि, यह आतंकी षड्यंत्र पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई ने रची थी और हवाला के माध्यम से उसके लिए निधि इकट्ठा की गई थी। इसके लिए तस्करों, विभिन्न स्थानों पर मुसलमानों और अन्य लोगों की सहायता ली गई थी। इसमें पाकिस्तान के अलावा, दुबई, मस्कत का भी उपयोग किया गया है। इसके साथ ही अत्याधुनिक ड्रोन का उपयोग किया। आरडीएक्स ऐसा विस्फोटक है जो सेना के कब्जे में ही रहता है। जिसे पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों को दिया था।
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तालिबान और पाकिस्तान में कश्मीर पर समझौता
पंजाब से पिछले महीने में 4 स्लीपर सेल को गिरफ्तार किया गया था। इसी कालावधि में ड्रोन के जरिये भारत के सीमाई क्षेत्र में विस्फोटक और हथियार भेजे जाने का भी खुलासा हुआ है। इसके अलावा पिछले कुछ महीनों में मुंबई, नवी मुंबई से करोड़ो रुपए की हशीश व अन्य मादक पदार्थों के बरामद किेये जाने की कई घटनाएं भी हुईं। इससे एक बार फिर यह बात स्पष्ट हुई कि, मादक पदार्थ, अवैध हथियार, विस्फोटक और हवाला का आतंक से नजदीकी रिश्ता है। अगस्त में अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी की और पाकिस्तानी सेना ने तालिबानी आतंकी नेताओं की सरकार बनाने में अगुवाई की, इसके बाद ही कश्मीर में तालिबान, पाकिस्तान की सहायता करे ऐसी मांग की गई है। इसके उत्तर में तालिबान ने घोषणा की है कि, ‘कश्मीरी मुसलमानों की सहायता करना हमारा अधिकार है’। अफगानिस्तान में ताबिलानी सत्ता स्थापना के बाद भारत के कुछ नेताओं ने कहा है कि तालिबानी नेता अब बदल गए हैं, उनसे भारत को कोई खतरा नहीं है। लेकिन, प्रत्यक्ष में पाकिस्तान और तालिबान की योजना है कि, वे एक साथ भारत और कश्मीर में हिंसात्मक गतिविधियां करें और यहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को समाप्त करें। तालिबानियों का यह कहना कि, ‘हम बदल गए हैं’ जैसी बातों पर विश्वास न करते हुए उनकी सभी गतिविधियों पर सावधानी से निगरानी रखना आवश्यक है।
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गुप्तचरों का जाल सुदृढ़ करें
भारतीय सशस्त्र बल, नौसेना, तटरक्षक दल, सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस को अपने प्रशिक्षण में अमूलाग्र बदलाव करना आवश्यक है। आत्मघाती हमला करना तालिबानियों की विशेषता है। इस दृष्टि से रेलवे स्टेशन, बस अड्डों पर संशयित लोगों और सामानों की लगातार जांच आवश्यक है। निजी व सरकारी वाहनों समेत एम्ब्युलेंस की जांच भी अतिआवश्यक है। ड्रोन का पता लगाना, उन्हें निष्क्रिय करने की तकनीकी विकसित करना और पाकिस्तान से लगी सीमा पर ड्रोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना अतिआवश्यक है। देश के अंदर सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस को तकनीकी आधारित गुप्त जानकारियों के भरोसे ही नहीं रहना होगा बल्कि, वास्तविक जमीनी हलचलों की जानकारी प्राप्त करने के लिए मानव गुप्तचरों की सहायता लेना आवश्यक है। राष्ट्र प्रेमी लोगों को आवाहन करके उनकी दी गई जानकारियों का स्वागत करना और सामान्य लोगों की सहायता से आतंकियों को मदद करनेवाले लोगों पर समय रहते कठोर कार्रवाई करना आवश्यक है। कट्टरवादियों के विरुद्ध मुसलमानों की मदद लेकर भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में लाना आवश्यक है। सोशल मीडिया और इंटरनेट का दुरुपयोग करके आतंकी अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं, इसलिए संशयित लोगों के फोन, ईमेल पर निगरानी रखते हुए उन्हें रोकना करना आवश्यक है। राजनीतिक लाभ के लिए इसके विरुद्ध आक्रोश निर्माण करना और सुरक्षा बल व पुलिस का मनोबल तोड़ना राष्ट्रघाती है। यह भी आवश्यक है कि जनसामान्य लोग बड़ी संख्या में पुलिस मित्र बनें और देश की सुरक्षा को मजबूत करें।
(इसके लेखक प्रवीण दीक्षित (रिटायर्ड आईपीएस), भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं, वे महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक पद पर सेवा दे चुके हैं।
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