कश्मीर घाटी में आतंकियों द्वारा आए दिन की जा रही टारगेट किलिंग से भय का माहौल पनप गया है। इस भय के चलते कश्मीर घाटी में रोजी-रोटी कमाने गए कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों ने वापिस अपने घरों को लौटना शुरू कर दिया है। कोई बस में सवार हो लौट रहा है तो कोई हवाई जहाज की टिकट खरीद रहा है। हालांकि प्रशासन की ओर से इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की गई है लेकिन इंटरनेट के जरिए कश्मीर में अपना सामान समेट कर निकल रहे लोगों ने अपने वीडियों अपलोड किए हैं।
बैंक मैनेजर की हत्या
3 जून सुबह भी कुलगाम जिले में स्थित इलाकाही देहाती बैंक के भीतर घुसकर बैंक मैनेजर विजय कुमार की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। बैंक मैनेजर राजस्थान का रहने वाला था। इसके बाद प्रशासन ने पूरी कश्मीर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है, वहीं सभी मुख्य शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह अपने-अपने कार्याधिकार क्षेत्र में सभी गैर मुस्लिम अध्यापकों को उनकी इच्छा के अनुरुप किसी जगह विशेष पर ही तैनात करें।
ये भी पढ़ें – पुलिस कर रही थी युवक के अपहरण की जांच, घटना में आया ऐसा नाटकीय मोड़
कश्मीर में कार्यरत कई हिंदू कर्मचारी भी लौटे घर
वहीं प्रशासन ने घाटी में कार्य कर रहे हिंदू व कश्मीरी पंडितों व अल्पसंख्यकों को कई बार सुरक्षा का यकीन दिलाया है लेकिन टारगेट किलिंग के बढ़ते सिलसिले के कारण उनमें भय को लगातार बढ़ा रहा है। 2 जून को भी मट्टन, बटवारा, शेखपोरा, वेस्सु, वीरवान समेत वादी के विभिन्न हिस्सों में स्थित विस्थापित कश्मीरी ट्रांजिट कालोनियों में रहने वाले कई विस्थापित कश्मीरी हिंदू जम्मू के लिए निकल गए हैं। मट्टन स्थित ट्रांजिट कालोनी में रहने वाले कुछ कश्मीरी हिंदुओं ने जम्मू के लिए रवाना होने का अपना एक वीडियो भी जारी किया है। जम्मू प्रांत से कश्मीर में कार्यरत कई हिंदू कर्मचारी भी अपने घर लौट आए हैं।
टैक्सी स्टैंड पर जम्मू लौटने वालों की भीड़
3 जून को टीआरसी श्रीनगर, पंथाचौक में स्थित टैक्सी स्टैंड पर जम्मू लौटने वालों की भीड़ रही है। श्रीनगर एयरपोर्ट पर भी 3 जून यात्रियों की तादाद सामान्य से ज्यादा रही। यात्रियों में ज्यादातर विस्थापित कश्मीरी हिंदू व कश्मीर में कार्यरत अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मी बताए जा रहे हैं हालाकि श्रीनगर एयरपोर्ट के निदेशक ने ट्वीट कर उन खबरों को निराधार बताया है। इस बीच प्रदेश प्रशासन ने 3 जून सभी संवेदनशील इलाकों और अल्पसंख्यकों की बस्तियों में सुरक्षाबलों की गश्त बढ़ाने के अलावा वहां अस्थायी सुरक्षा चौकियां भी आवश्यक्तानुरुप स्थापित की जा रही हैं।