जानें वो सात बिंदु जो साक्ष्य हैं ‘ज्ञानवापी परिसर’ है श्रीकाशी विश्वनाथ की संपत्ति!

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में खड़े ज्ञानवापी परिसर को लेकर लंबे समय से विवाद खड़ा किया जा रहा है। जबकि साक्ष्य हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके बाद औरंगजेब ने श्रीकाशीविश्वनाथ मंदिर पर हमला किया था। इसमें मंदिर को भारी क्षति पहुंचाई गई। लेकिन इसके बावजूद इस स्थान पर हिंदुओं द्वारा पूजा पाठ किया जाता रहा है।

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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के आधे हिस्से में खंडहर पड़ी ज्ञानवापी की भूमि का प्रकरण पुन: न्यायालय के पास पहुंच गया है। इस प्रकरण में कहा गया है कि किसी के पागलपन में ध्वस्त धार्मिक स्थल वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं हो सकता। इसके अलावा इसमें भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, जिलाधिकारी वाराणसी, पुलिस अधीक्षक वाराणसी, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अंजुमन इंताजामिया मस्जिद कमेटी और ट्रस्ट ऑफ काशी विश्वनाथ मंदिर को प्रतिवादी बनाया गया है। इस प्रकरण में काशी विश्वनाथ (विश्वेश्वर) ज्ञानवापी मन्दिर के सदस्यों ने ज्ञानवापी मंदिर कैसे श्रीकाशी विश्वनाथ मन्दिर की संपत्ति है इसको पुराण और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर प्रकट किया है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में बसाई गई ज्ञानवापी को लेकर देश के दस हिंदू रक्षकों और अधिवक्ताओं ने वाराणसी न्यायालय में याचिका दायर की है। इस याचिका में इक्कज्जुट जम्मू के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता अंकुर शर्मा, अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन, जीतेन्द्र सिंह विसेन, अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री समेत दस वादी हैं। इस याचिका में ज्ञानवापी मंदिर कैसे आदिविश्वेश्वर की संपत्ति है। इसको स्पष्ट रूप से याचिका में विदित किया गया है। इस याचिका के सात बिंदु महत्वपूर्ण हैं जो साक्ष्य हैं ज्ञानवापी परिसर के श्रीकाशीविश्वनाथ की संपत्ति होने का।

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  • पौराणिक साक्ष्य, पांच कोस का दायरा अवमुक्त क्षेत्र – इस याचिका में कहा गया है कि आदिविश्वेश्वर के पांच कोस के दायरे में अवमुक्त क्षेत्र है, जिसमें मां श्रृंगार गौरी स्वयंभू देवता हैं। जिनकी प्राचीन काल से पूजा की जाती है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण और शिव पुराण में भी है।
  • सत्ता के पागलपन में की गई कार्रवाई – वर्ष 1669 में औरंगजेब ने मंदिर का हिस्सा सत्ता विस्तार के पागलपन में ध्वस्त किया था। अवमुक्त क्षेत्र के पांच कोस के दायरे के मालिक देवता हैं। ऐसी स्थिति में एक हिस्से पर खड़े किये गए निर्माण को मस्जिद नहीं कहा जा सकता।ये भी पढ़ें – अभिनेत्री गौहर खान कर रही थी ऐसा काम! अब हुआ मामला दर्ज 
  • वक्फ बोर्ड गैरकानूनी – मंदिर के हिस्से को ध्वस्त करके उसे वक्फ बोर्ड के अधीन नहीं लाया जा सकता।
  • मुसलमानों ने किया अतिक्रमण – इस क्षेत्र में मुसलमानों ने अधिकार अर्जित नहीं किया है बल्कि, अतिक्रमण किया है। इस स्थिति में मंदिर के किसी भी हिस्से का उपयोग करने से वे इसके अधिकारी नहीं हो सकते।
  • पूजा स्थल अधिनियम लागू नहीं – ‘पूजा स्थल अधिनियम 1991’ इस मंदिर पर लागू नहीं होता। यहां लगातार पूजा हो रही है, जो 1947 में भी चल रही थी। इसमें पांच कोस के परिक्षेत्र को ध्यान में रखा गया है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता का हनन – अनुच्छेद 25 के अंतर्गत संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को निहित किसी भी धर्म को मानने की, आचरण करने की तथा धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
  • मुलमानों को अधिकार ही नहीं – ‘श्रीकाशी विश्वनाथ अधिनियम 1983’ पुराने मंदिर में ज्योतिर्लिंग और आदिविश्वेश्वर के अस्तित्व को मान्यता देता है। इसलिए इस क्षेत्र में मुसलमानों को कब्जे में रहने का अधिकार नहीं।
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