दंतेवाड़ा के तीन गांवों में किसने लगाई थी आग? विशेष न्यायिक आयोग ने पेश की जांच रिपोर्ट

सुकमा जिले के मोरपल्ली, तिम्मापुरम और ताड़मेटला गांव में 2011 में 11 मार्च और 16 मार्च के बीच सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई और ग्रामीणों के घर जला दिए गए। इस घटना की जांच रिपोर्ट आ गई है।

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छत्तीसगढ़ के तत्कालीन दंतेवाड़ा जिले में वर्ष 2011 में तीन गांवों में मुठभेड़ और आग लगने की घटनाओं की जांच के लिए नियुक्त न्यायिक आयोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया है। 16 मार्च शाम को विधानसभा में, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश टीपी शर्मा की अध्यक्षता में एक विशेष न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गांवों में आग लगाने के लिए किसी को दोषी ठहराने का कोई सबूत नहीं है। आयोग ने यह भी कहा कि स्वामी अग्निवेश का विरोध तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसआरपी कल्लूरी द्वारा प्रायोजित होना नहीं पाया गया है।

राज्य की तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन घटनाओं की जांच के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश टीपी शर्मा की अध्यक्षता में एक विशेष न्यायिक आयोग का गठन किया था।

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गठित की गई थी न्यायिक जांच आयोग
विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 16 मार्च की शाम ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुरम मुठभेड़ और आगजनी तथा दोरनापाल में स्वामी अग्निवेश के साथ घटित घटना की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग की 511 पृष्ठ की रिपोर्ट को सदन में रखा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोरपल्ली के कुल 31 घरों, तिम्मापुरम के 55 घरों और ताड़मेटला के 160 घरों को किसने जलाया, इसका कोई स्वीकार योग्य साक्ष्य नहीं है। इन घरों को क्यों जलाया गया या इसके क्या कारण थे, इसका कोई सबूत नहीं है। इसलिए किसी को भी आग लगाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। जांच आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि 11 मार्च, 2011 को पुलिस बल, सीआरपीएफ और सीआरपीएफ के कोरबा बटालियन के दल के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से प्राप्त नौ शिकायतों की जांच के लिए तोलावर्ती गांव की ओर रवाना हुआ था। दल जब मोरपल्ली गांव के करीब था तब नक्सलियों के साथ उनकी मुठभेड़ हुई। बाद में तीनों बल वापस चिंतलनार आ गई। इस दिन मोरपल्ली के 31 मकानों में आग लग गई थी।

यह है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के मोरपल्ली, तिम्मापुरम और ताड़मेटला गांव में 2011 में 11 मार्च और 16 मार्च के बीच सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई और ग्रामीणों के घर जला दिए गए। साथ ही, 26 मार्च, 2011 को दंतेवाड़ा जाने की कोशिश करने के दौरान दोरनापाल इलाके में स्वामी अग्निवेश और उनके साथियों पर भीड़ द्वारा एक कथित हमला किया गया था। 13 और 14 मार्च, 2011 को तिम्मापुरम में एक और मुठभेड़ हुई। इस घटना में तीन पुलिसकर्मी मारे गए और आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए। वहां, पुलिस बल द्वारा हथगोले फेंके जाने और इन घरों से उन पर चलाई जा रही गोलियों की जवाबी कार्रवाई में 4-5 मकानों में आग लग गई थी, 55 अन्य घरों को भी जला दिया गया था। लेकिन मकान किनके द्वारा जलाया गया है, इस संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है।

नहीं मिले कोई सबूत
रिपोर्ट के अनुसार 16 मार्च ,वर्ष 2011 को जिले के ताड़मेटला में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी और उसी दिन गांव में 160 मकानों में आग लग गई। मकान किनके द्वारा जलाया गया, इस संबंध में कोई स्वीकार योग्य साक्ष्य नहीं है। तिम्मापुरम गांव में घरों से गोलीबारी के बाद पुलिस दल ने भी जवाबी कार्रवाई की थी जिससे गांव के एक किनारे के 4-5 घरों में आग लग गई। आत्मरक्षा में प्रतिक्रिया सुरक्षा बलों का अधिकार था।

अभियोग पत्र में क्या हैः
रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि घरों को किसने जलाया इसका कोई सबूत नहीं है। इसलिए किसी को भी आग लगाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। आयोग ने कहा है कि स्वामी अग्निवेश पर कथित हमले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है। सीबीआई द्वारा जांच कर अभियोग पत्र प्रस्तुत करने पर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। स्वामी अग्निवेश का विरोध तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसआरपी कल्लूरी द्वारा प्रायोजित नहीं हो पाया ।

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