इन्फोसिस नक्सलियों और देशद्रोहियों की कर रही है मदद! पांचजन्य में सनसनीखेज आरोप

सरकारी एजेंसियां ​​इंफोसिस को महत्वपूर्ण वेबसाइटों और पोर्टलों के लिए ठेके देने से नहीं हिचकिचाती हैं, क्योंकि यह एक प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनी है। इंफोसिस द्वारा जीएसटी और आयकर रिटर्न के लिए पोर्टल विकसित किए गए हैं।

142

आरएसएस समर्थक पत्रिका पांचजन्य में संदेह व्यक्त किया गया है कि इंफोसिस के माध्यम से राष्ट्रविरोधी ताकत देश के आर्थिक हितों के खिलाफ काम नहीं कर रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख पत्र पांचजन्य में लिखे लेख में कहा गया है, “इन्फोसिस पर अक्सर नक्सलियों, वामपंथियों की मदद करने का आरोप लगाया जाता रहा है, लेकिन इसका हमारे पास कोई पक्का सबूत नहीं है।”

इन पोर्टलों की तकनीकी मुद्दों के मद्देनजर खुलासा
यह आलोचना वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और आयकर पोर्टलों के साथ तकनीकी मुद्दों के मद्देनजर की गई है। इन दोनों पोर्टलों को प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस द्वारा विकसित किया गया है। पांचजन्य के ताजा अंक में आरोप लगाया गया है कि यह देश की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास हो सकता है।  कवर स्टोरी ‘साख और आघात’ में इसकी आलोचना की गई है और कवर पर इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की एक तस्वीर भी प्रकाशित की गई है। लेख में ‘ऊंची दुकान फीका पकवान’ कहकर कंपनी की आलोचना की गई है।

निवेशकों के विश्वास को कमजोर करने की कोशिश
इंफोसिस द्वारा बनाए गए इन दो पोर्टलों में हमेशा तकनीकी दिक्कतें आती हैं। ऐसा करदाताओं और निवेशकों के नुकसान के लिए किया गया है। यह आरोप लगाते हुए लेख में कहा गया है कि ऐसे कारक देश की अर्थव्यवस्था में करदाताओं के विश्वास को कमजोर करते हैं।

ये भी पढ़ेंः पंजशीर के शेरों के सामने पस्त तालिबान! 700 लड़ाके ढेर,600 कैद

इन्हें आर्थिक मदद कर रही है कंपनी
सरकारी एजेंसियां ​​इंफोसिस को महत्वपूर्ण वेबसाइटों और पोर्टलों के लिए ठेके देने से नहीं हिचकिचाती हैं, क्योंकि यह एक प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनी है। इंफोसिस द्वारा जीएसटी और आयकर रिटर्न के लिए पोर्टल विकसित किए गए हैं। इनकी तकनीकी दिक्कतें भारतीय अर्थव्यवस्था में करदाताओं के विश्वास को कम कर रही हैं। लेख में इस बात पर संदेह व्यक्त किया गया है कि क्या कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें भारतीय आर्थिक हितों के खिलाफ इंफोसिस के माध्यम से काम कर रही हैं।

सवाल यह है कि..
पत्र में कहा गया है कि इंफोसिस पर अक्सर नक्सलियों, वामपंथी और टुकड़े-टुकड़े गैंग की मदद करने का आरोप लगता रहा है, लेकिन हमारे पास इसका पक्का सबूत नहीं है। लेख में यह भी सवाल किया गया था कि क्या इंफोसिस विदेशी ग्राहकों को भी इसी तरह की खराब सेवाएं प्रदान करती है? इस बीच जब पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि इंफोसिस एक बड़ी संस्था है। सरकार ने कंपनी को विश्वसनीयता के आधार पर महत्वपूर्ण कार्य सौंपे हैं।

कांग्रेस ने लेख को बताया देशविरोधी
इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि यह लेख राष्ट्रविरोधी है। इंफोसिस की अपमानजनक और राष्ट्र-विरोधी लेखन के लिए इसकी व्यापक रूप से आलोचना होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘इन्फोसिस जैसी कंपनियों ने ही भारत की दुनिया में महत्वपूर्ण जगह बनाई है।’

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.