धरती के मित्र, अंतरिक्ष में भिड़ जाते… भारत और अमेरिका में टला टकराव

चंद्रमा हमें पृथ्वी के क्रमिक विकास और सौर मंडल के पर्यावरण की अविश्वसनीय जानकारियां दे सकता है। वैसे तो कुछ परिपक्व मॉडल मौजूद हैं, लेकिन चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में और अधिक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। चंद्रमा की सतह को व्यापक बनाकर इसकी संरचना में बदलाव का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। इसके लिए इसरो का चंद्रयान-2 ऑर्बिटर कार्य कर रहा है।

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अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका विश्व में सबसे आगे है, तो पिछले कुछ वर्षों में भारत ने भी उल्लेखनीय प्रगति की है। इस प्रगति के पथ पर कई बार भारत, अमेरिका से तकनीकी और अमेरिका, भारत से सहायता लेता रहा है। लेकिन, अक्टूबर में एक ऐसी परिस्थिति बन गई थी कि धरती के इन मित्रों में अंतरिक्ष में टकराव हो जाता।

यह टकराव होनेवाला था चांद पर, जहां भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का चंद्रयान -2 ऑर्बिटर और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का लूनार रिकॉनेसान्स ऑर्बिटर (एलआरओ) भ्रमण कर रहा है। इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और नेशनल एयरोनॉटिक्स एण्ड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के एलआरए के विषय में अनुमान था कि, दोनों 20 अक्टूबर 2021 को चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव में बहुत पास आएंगे।

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इसरो और नासा के जेट प्रॉपुल्जन लेबोरेटरी (जेपीएल) के अनुसार दोनों अंतरिक्ष यानों की दूरी 100 मीटर से भी कम रह जाती। यह घटना 20 अक्टूबर, 2021 को भारतीय समयानुसार 11.15 बजे घट सकती थी।

समय रहते उठाया कदम
इसरो और नासा ने इस परिस्थिति को देखते हुए आपसी सहमति बनाई कि अंतरिक्ष यान को कोल्यूजन अवोइडेन्स मैन्यूअर पर डाला जाए। सहमति के अनुसार चंद्रयान-2 ऑर्बिटर को 18 अक्टूबर, 2021 को उसके मार्ग से दूसरे स्थान पर मोड़ा गया।

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