बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार (9 जून) को पीओपी की मूर्तियों (POP Idol) पर प्रतिबंध (Ban) हटाने का महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि गणेश प्रतिमाओं (Ganesh Idol) का विसर्जन (Immersion) प्राकृतिक जल स्रोतों (Natural Water Bodies) के बजाय कृत्रिम झीलों (Artificial Lakes) में किया जाना चाहिए। हालांकि, जल प्रदूषण को रोकने के लिहाज से यह शर्त महत्वपूर्ण है, लेकिन बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति ने इस पर चिंता जताते हुए सवाल उठाया है कि सार्वजनिक गणेश मंडलों की बड़ी ऊंची मूर्तियों का विसर्जन कैसे किया जाएगा। साथ ही सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों की बड़ी मूर्तियों के विसर्जन को लेकर पुनर्विचार की मांग की है।
बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति के अध्यक्ष एडवोकेट नरेश दहीबावकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुंबई हाई कोर्ट ने पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध हटाने का महत्वपूर्ण आदेश दिया है। बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति ने इस आदेश का स्वागत किया है। समन्वय समिति ने पिछले चार वर्षों से लगातार पीओपी गणेश मूर्तियों का अनुसरण किया है और यह सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास किया है कि समय-समय पर कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों का पालन करते हुए उत्सव को खुशी से मनाया जाए। ये प्रयास सफल रहे। लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन प्राकृतिक जल स्रोतों के बजाय कृत्रिम झीलों में किया जाना चाहिए।
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बड़ी मूर्ति का विसर्जन कैसे करें?
उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने राज्य सरकार को सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों की गणेश प्रतिमाओं का कृत्रिम जल स्रोतों में विसर्जन करने के लिए समिति बनाने का निर्देश दिया है। जल प्रदूषण को रोकने के लिहाज से यह शर्त महत्वपूर्ण है। हालांकि, अधिवक्ता दहीबावकर ने कहा कि बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति भी इस बात को लेकर चिंतित है कि सार्वजनिक गणेश मंडलों की बड़ी ऊंची प्रतिमाओं का विसर्जन कैसे किया जाएगा।
बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से आगमन और विसर्जन
पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध हटाना घरेलू गणेश भक्तों और सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों के लिए खुशी की बात है। बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति न्यायालय और राज्य सरकार को न्यायालय में उचित तरीके से इसका बचाव करने के लिए बधाई देती है। गणेशोत्सव के दौरान श्री की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और मूर्ति विसर्जन दोनों ही अनुष्ठानों का बहुत महत्व है। श्री गणेश का आगमन और विसर्जन बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से किया जाता है। पिछले कई वर्षों से मुंबई में कृत्रिम तालाबों में घर पर बनी मूर्तियों का विसर्जन किया जाता रहा है। इस संबंध में लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
कृत्रिम झीलें बनाना संभव है?
हालांकि, सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों की ऊंची मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित करने की व्यवस्था करना न केवल मंडलों के लिए बल्कि प्रशासन के लिए भी उतना ही चुनौतीपूर्ण है। अधिवक्ता दहीबावकर ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या सार्वजनिक मंडलों की मूर्तियों की ऊंचाई को देखते हुए नगर पालिका और अन्य प्रशासनिक एजेंसियों के लिए इतने कम समय में बड़ी कृत्रिम झीलों का निर्माण करना संभव है। क्या मुंबई शहर और उपनगरों में भव्य कृत्रिम झीलों के लिए पर्याप्त खुली जगह या मैदान हैं? उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि इस पर भी जांच होनी चाहिए।
सार्वजनिक मंडलों के विसर्जन यात्रा निकाले जाते हैं, जिसमें लाखों गणेश भक्त भाग लेते हैं। समुद्र पर तो भारी भीड़ की योजना बनाई जा सकती है, परंतु कृत्रिम झीलों के सीमित स्थान पर इस भारी भीड़ की योजना कैसे बनाई जाए, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। सामान्यतः समुद्र में विसर्जन के समय मूर्ति के साथ कुछ ही लोग अंदर जाते हैं। अन्य लोग बस किनारे पर रुक जाते हैं। सामान्यतः कोई भी सीधे समुद्र में नहीं जाता। परंतु कृत्रिम झीलों के पास विसर्जन के समय भारी भीड़ होने की संभावना है। ऐसे स्थानों पर भगदड़ न हो, इसके लिए प्रशासन को सावधानी बरतनी होगी। इसलिए, बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति का मानना है कि राज्य सरकार को सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों की बड़ी मूर्तियों के विसर्जन पर पुनर्विचार करना चाहिए, ऐसा अधिवक्ता दहीबावकर ने भी स्पष्ट किया। (Murti Visarjan)
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