… ऐसे कमजोर हो रहा पाकिस्तान!

पाकिस्तान की कुल आबादी 22 करोड़ के लगभग है और हमारे उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 24 करोड़ तो फिर पाकिस्तान क्यों बड़ा लगता है। इसका प्रमुख कारण है कि पाकिस्तान को हमारे प्रसार माध्यम और नेताओं ने बड़ा कर दिया है। इनके कारण पाकिस्तान अब अमेरिका से भी बड़ा लगने लगा है।

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पाकिस्तान, किसान आंदोलन और कश्मीर की गुपकार गैंग का रोशनी घपला, ये वह विषय हैं जो इन दिनो चर्चा में हैं। इनके पीछे के चेहरे और इन विषयों के एक साथ सिर उठाने के बीच क्या कोई संबंध हैं इस पर हिंदुस्थान पोस्ट के गेस्ट एडीटर पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने प्रकाश डाला।

पाकिस्तान की कुल आबादी 22 करोड़ के लगभग है और हमारे उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 24 करोड़ तो फिर पाकिस्तान क्यों बड़ा लगता है। इसका प्रमुख कारण है कि पाकिस्तान को हमारे प्रसार माध्यम और नेताओं ने बड़ा कर दिया है। इनके कारण पाकिस्तान अब अमेरिका से भी बड़ा लगने लगा है।

वो चर्चा से बढ़ता है…

भारतीय उतना पाकिस्तान को नहीं समझते जितना उसके लोगों ने यहां के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है। भारतीय जनता ने तो पाकिस्तानी लोगों की न तो विचारधारा समझी, न कुरान को समझा और न ही शरीयत या हदीस के बारे में जानकारी प्राप्त की। जबकि पाकिस्तान का एक सामान्य नागरिक भी भारत की पंथ निहाय जनसंख्या, उनके रुझान और कमजोरी को भलीभांति जानता है।

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यहां पाकिस्तान को लेकर प्रसार माध्यम और नेताओं ने जो हौव्वा फैला रखा है उसके कारण वो अमेरिका से भी बड़ा प्रतीत होता है। जबकि उसकी स्थिति तो इतनी खराब है कि वो संभाल नहीं पा रहा है। वहां के नेता अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए भारत के पाकिस्तान राग का उपयोग करते हैं। मैं वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के संपर्क में रह चुका हूं। वे पाकिस्तान में रह चुके हैं। उनकी राय है कि पाकिस्तान की चर्चा ही मत करो। ऐसी सलाह उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी है जिसके कारण पीएम साल में एकाध बार ही पाकिस्तान का उल्लेख करते हैं। इसका परिणाम है कि वो खत्म हो रहा है। वहां के पीएम इमरान खान के हाथ से परिस्थिति संभाले नहीं संभल रही है।

पंजाब के आतंकियों का समर्थन

पाकिस्तान के पंजाब से ही हाफिज सईद, जकीउर्रहमान लकवी हैं जिन्हें पाकिस्तान की सरकार और आईएसआई का पूरा समर्थन प्राप्त है। इन्हें भारत में आतंकी गतिविधियां संचालित करने के लिए पोषण किया जाता है। जबकि बलूचिस्तान के आतंकियों को पाकिस्तानी सेना दुश्मन मानती है। बलूचिस्तान के आतंकी भारत के विरुद्ध नहीं उतरते। वे पाकिस्तान के खिलाफ ही हैं। बलूचिस्तान क्षेत्रवार के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य है लेकिन उसे वो संसाधन प्राप्त नहीं हैं।

ये आंदोलन नहीं

किसानों के आंदोलन में अर्बन नक्सल के रूप में विख्यात और पत्रकारों को छोड़ने की बात कहां से आ गई। ये जो हो रहा है आंदोलन के नाम पर ये किसानों का आंदोलन नहीं है। कश्मीर में गुपकार से संबंधित लोग भ्रष्टाचार के चक्कर में फंसे हुए हैं। इससे बचने के लिए वे एकजुट हुए हैं।

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ मुंबई में हिंदुस्थान पोस्ट के कार्यालय में थे। वे वरिष्ठ पत्रकार हैं। पाकिस्तान में लंबे समय तक पत्रकारिता कर चुके हैं। इसके अलावा हिंदुत्व के प्रखर वक्ता हैं। उनका अध्ययन हिंदुत्व के साथ-साथ इस्लाम पर भी गहरा है।

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