दिल्ली उच्च न्यायालय ने विदेशी संगठनों के कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत की मदद की आड़ में एकत्रित धन को आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने की जांच की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सरकार इस बात से वाकिफ है और इसे लेकर कोई न्यायिक आदेश जारी करने की जरूरत नहीं है।
याचिका में मांग
याचिककर्ता मोहम्मद अशफाक हुसैन ने अपनी याचिका में कहा था कि भारत की भलाई के नाम पर धन एकत्र किया गया था और इस धन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया गया। याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार धन एकत्र करने के लिए शर्तें और दिशानिर्देश जारी करे। धन एकत्र करने वालों को रेगुलेट करने के लिए कदम उठाए जाएं।
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केंद्र सरकार ने क्या कार्रवाई की?
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या विदेशी संगठनों पर न्यायालय को क्षेत्राधिकार है। उन पर केंद्र सरकार क्या कार्रवाई कर सकती है। तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इन संगठनों के सदस्य भारत में भी हैं। इन संगठनों के जरिये कई लोगों और अस्पतालों को लाभ पहुंचाया गया। उन्होंने ईडी खुफिया एजेंसी की उस रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें 309 करोड़ रुपये एकत्र करने की बात कही गई थी।
ईडी में भी की थी शिकायत
याचिकाकर्ता ने 7 मार्च को ईडी को इस बाबत प्रतिवेदन भी दिया था। ईडी इसकी जांच कर रही है। तब न्यायालय ने कहा कि जब आप खुद कह रहे हैं कि ईडी इसे लेकर सक्रिय है तो अगर उन्हें इसमें कुछ गड़बड़ी मिलेगी तो वे कार्रवाई करेंगे। हमारे यहां की जांच एजेंसी काफी अच्छा काम करती है।