मुंबई की आरे कालोनी में मेट्रो रेल से जुड़े निर्माण के लिए पेड़ काटने के मामले पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 2019 में हुई सुनवाई के बाद से एक पेड़ नहीं काटा गया। कुछ झाड़ियां जरूर हटाई गई हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई 10 अगस्त को करने का आदेश दिया।
वकील गोपाल शंकरनारायण ने 28 जुलाई को कहा था कि 2019 में आए कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। 27 जुलाई को चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष लिस्ट करने का आदेश दिया था।
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सर्वोच्च न्यायालय ने 7 अक्टूबर, 2019 को आरे फॉरेस्ट में पेड़ों को काटने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि आरे फॉरेस्ट में यथा स्थिति बहाल की जाए। पेड़ों को काटना तत्काल रोका जाए। कोर्ट ने कहा था कि पौधों के जीवित बचने की दर का विश्लेषण किया जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने पेड़ों को काटने का विरोध करने के दौरान गिरफ्तार सभी लोगों को रिहा करने का आदेश दिया था।
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