आ गया आदेश- राज्य भर के मजार टूटेंगे

उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड की धामी सरकार को अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने में नियमों का पालन करते हुए कार्रवाई करने का आदेश दिया।

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उच्च न्यायालय (High Court) ने सरकारी जमीन (Government Land) पर अवैध कब्जा कर बनाए गए अवैध मजारों (Illegal Tombs) के खिलाफ दायर जनहित याचिका (Petition) पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान धामी सरकार ने साफ कहा कि अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने में नियमों का पालन किया गया है। तीन सौ अवैध मजारें हटाई गई हैं, चार सौ और चिन्हित को हटाने की तैयारी चल रही है।

मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की संयुक्त पीठ ने याचिकाकर्ता हमजा राव और अन्य के वकील बिलाल अहमद को सरकारी जमीन पर कब्जा कर मजार और धार्मिक स्थल बनाने की वकालत करने पर फटकार लगाई और कहा- सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिका लगाई गई है। न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने इस संबंध में पहले भी याचिका दायर की थी, जिसका इस याचिका में जिक्र नहीं है। न्यायालय ने यह भी कहा कि क्यों न याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया जाए।

सरकारी जमीनों पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है
मुख्य न्यायधीश ने साफ कहा कि अवैध धार्मिक निर्माणों को गिराया जाना चाहिए, इसमें धर्म का परहेज नहीं होना चाहिए। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को भू-माफिया बताते हुए कहा कि आप सरकारी जमीनों पर कब्जा कर अवैध रूप से धार्मिक स्थल बना लेते हैं।

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अवैध मजारों को हटाने की तैयारी
धामी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरिद्वार, रुड़की, टिहरी के मोलधार, रामनगर, देहरादून, खटीमा, हल्द्वानी, नैनीताल आदि जगह से पहले ही लगभग 300 अतिक्रमण हटा चुकी है। सरकार अभी 400 अन्य अवैध मजारों को हटाने की तैयारी कर रही है। धर्मस्थलों पर हो रही कार्रवाई पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश
सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों को सरकारी जमीन से अवैध धार्मिक निर्माण हटाने के आदेश दिए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश में यह भी कहा है कि अगर इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो संबंधित राज्यों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

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