किसान आंदोलन : दर्द किसान का या आढतिया का?

किसान आंदोलन को आर्थिक सहायता देनेवालों में आढतिया व्यापारियों की भूमिका को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही थी। लेकिन जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ा आढतिया व्यापारी, खालिस्तानी समर्थकों की भूमिकाएं बेनकाब हो गईं।

109

दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलनकारी अब भी बैठे हुए हैं। महिला दिवस पर इस आंदोलन में महिलाओं को नेतृत्व दिया गया। इस प्रकार जहां आंदोलनकारी महिलाओं को ढाल बनाने की भूमिका अपना चुके हैं वहीं केंद्र सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया वो है पंजाब के किसानों के खाते में सीधे भुगतान करना। जिससे आंदोलन के पीछे आढतिया का दर्द है या किसानों का, इसको लेकर प्रश्न खड़ा हो गया है।

हरियाणा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव के लिए हुए मतदान के बाद विपक्ष औंधे मुंह गिर गया। अपनी सरकार की विजय से खुश मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने इस दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा कर दी। उन्होंने घोषणा की है कि हरियाणा के किसानों के खातों में अब सरकार उनकी उपज का भुगतान करेगी। इससे हरियाणा में प्रशासन और किसान के मध्य खड़े आढतिया की भूमिका खत्म हो गई है।

ये भी पढ़ें – उत्तराखण्ड : देवभूमि में ‘तीरथ’ राज!

केंद्र सरकार पहले ही कर चुकी है घोषणा
केंद्र सरकार ने फरवरी में ही घोषणा कर दी है कि पंजाब में अब फसलों का पूरा भुगतान सीधे सभी किसानों के खाते में ही ट्रांसफर किया जाएगा। इस विषय में केंद्रीय उपभोक्ता मामले और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बयान भी जारी किया था। जिसमें ऑनलाइन मोड पर भुगतान सीधे किसानों के खाते में जमा करने की बात कही गई थी। पहले पंजाब में आढतिया के माध्यम से ही किसानों का भुगतान किया जा रहा था। जबकि केंद्र सरकार 2015-16 से ही पंजाब-हरियाणा में ऑनलाइन भुगतान सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर करने की कोशिश कर रही थी।

बता दें कि, पंजाब में लगभग 80 हजार आढतिया सक्रिय हैं। ये खुद भी बड़े काश्तकार हैं और इसी की आड़ में पूरे उत्तर भारत की खेती उपज का अधिकांश हिस्सा खरीदकर आढतिया व्यापारी बन गए हैं।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.