गैस रिसाव से दो अधिकारियों की मौत

22 दिसंबर की रात 11 बजे फूलपुर इफको के पी-1 में अमोनिया गैल का रिसाव शुरू हो गया। ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी वीपी सिंह मौके पर पहुंचे लेकिन वे बुरी तरह झुलस गए। इसके बाद उन्हें बचाने पहुंचे अधिकारी अभयनंदन भी झुलस गए। इन दोनों अधिकारियों को वहां मौजूद कर्मचारियों ने बाहर निकाला।

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प्रयागराज के फूलपुर स्थित इफको प्लांट में हुए बड़े हादसे में दो अधिकारियों की मौत हो गई, जबकि 15 कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें इलाज के लिए पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मृतक अधिकारियों के नाम वीपी सिंह और अभयनंदन हैं। यह हादसा अमोनिया गैस के रिसाव के कारण हुआ है। प्राथमिक जांच-पड़ताल में यूरिया उत्पादन इकाई में पंप लीक होने के कारण गैस रिसाव की आशंका व्यक्त की जा रही है।

इन दो अधिकारियों की मौत
22 दिसंबर की रात 11 बजे फूलपुर इफको के पी-1 में अमोनिया गैल का रिसाव शुरू हो गया। ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी वीपी सिंह मौके पर पहुंचे लेकिन वे बुरी तरह झुलस गए। इसके बाद उन्हें बचाने पहुंचे अधिकारी अभयनंदन भी झुलस गए। इन दोनों अधिकारियों को वहां मौजूद कर्मचारियों ने बाहर निकाला। इस दौरान अमोनिया गैस का रिसाव पूरी यूनिट में फैल चुका था। वहां मौजूद 15 कर्मचारी इसकी चपेट में आ चुके थे।इनमें से कुछ लोग बेहोश हो गए।

घायलों में ये शामिल
धर्मवीर सिंह, लालजी, हरिश्चंद्र, अजीत कुशवाहा, अजीत, राकेश कुमार, शिव, काशी, बलवान, अजय यादव, सीएस यादव, आरआर विश्वकर्मा और राकेश

सीएम ने जताई संवेदना
इस हादसे को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नें गुख जाहिर करते हुए कहा कि प्रयागराज में फूलपुर स्थित एक प्लांट में गैस रिसाव से हुआ हादसे से मन दुखी है। हादसे में दिवंगत हुए लोगो के परिजनों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।

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विशाखापत्तनम हादसे की आई याद
इससे पहले 7 मई 2020 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में गैस लीक होने का हादसा हुआ था। इस हादसे में 11 लोगों की जान चली गई थी। हादसे के कारण आपपास के गांवों के हजारों लोग प्रभावित हुए थे। दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी केम द्वारा संचालित एलजी पॉलीमर्स के कारखाने में यह हादसा रात ढाई बजे हुआ था। इस हादसे में ढाई सौ पक्षी भी प्रभावित हुए थे। इस कंपनी की स्थापना 1961 में हुई थी।

भोपाल गैस त्रासदी
3 दिसंबर 1984 की काली रात की भयावह यादें आज भी भोपाल के लोगों की आत्मा को कंपा देती है। ये वो रात थी, जब शहर के यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से निकलनेवाली गैस के कारण हजारों लोगों की जान चली गई थी। यूनियन कार्बाइड के संयंत्र में गैस रिसाव से लोगों का दम घुटने लगा था। इसमें हजारों लोगों की मौत के साथ डेढ़ लाख लोग दिव्यांग हो गए थे। रात तो गुजर गई थी,लेकिन उसने जख्मों का निशान इतना गहरा दिया था, कि वह आज तक नहीं भर पाया है। हादसे के 36 साल बाद भी शहर की तीसरी पीढ़ी उस त्रासदी के साइड एफेक्ट झेलने को मजबूर है।सचमुच ऐसे लोगों के लिए उस रात की कोई सुबह नहीं है।

ऐसे हुआ था हादसा
3 दिसंबर को हुआ यह हादसा सबसे बड़ा ऐतिहासिक औद्योगिक हादसा था। यूनियन कार्बाइड कारखाने के 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसाइनाइट रसायन था। टैंक में पानी पहुंच गया और टैंक के अंदर का तापमान 200 डिग्री तक बढ़ गया। इस कारण जोरदार धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वॉल्व उड़ गया। उसके बाद तेजी से गैस रिसाव शुरू हो गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस हादसे में 3,787 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 5 लाख 58 हजार 125 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें से भी 4000 लोग स्थाई तौर पर दिव्यांग हो गए थे। इसके साथ ही 38,478 लोगों को सांस से जुड़ी परेशानियों से जूझना पड़ा था।

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