प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने गुरुवार (16 मई) को धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के तहत मुंबई (Mumbai) और हैदराबाद (Hyderabad) में 13 विभिन्न स्थानों पर छापे (Raid) मारे। इस छापेमारी में वसई-विरार नगर निगम के शहरी नियोजन के उप निदेशक वाई. एस. रेड्डी के मुंबई और हैदराबाद स्थित आवासों पर की गई छापेमारी में 8.60 करोड़ रुपये की नकदी और 23.25 करोड़ रुपये के हीरे के आभूषण और सोना जब्त किया गया।
छापेमारी के दौरान ईडी ने हीरे के आभूषणों के साथ-साथ कई संदिग्ध दस्तावेज भी जब्त किए हैं। ये दस्तावेज वसई-विरार महानगरपालिका क्षेत्र में हुए बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण घोटाले पर प्रकाश डालते हैं। ईडी ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि यह कहा जा सकता है कि अनधिकृत निर्माण का घोटाला राजनीतिक नेताओं, बिल्डरों और नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत के कारण हुआ। ईडी की कार्रवाई से अब इस निर्माण घोटाले में नगर निगम अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हो गई है।
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14 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी
ईडी ने मीरा-भायंदर पुलिस आयुक्तालय द्वारा दर्ज विभिन्न अपराधों के आधार पर जांच कर मामला दर्ज किया है। नगर निगम के स्वामित्व वाली लगभग 60 एकड़ भूमि पर 41 आवासीय और व्यावसायिक इमारतों का अवैध रूप से निर्माण किए जाने का पता चलने के बाद ईडी ने बहुजन विकास अघाड़ी के पूर्व नगरसेवक सीताराम गुप्ता और बिल्डर अनिल गुप्ता के 14 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। हालांकि, अवैध इमारतों का यह साम्राज्य इन दोनों ने ही खड़ा किया है, लेकिन संदेह है कि नगर निगम के अधिकारी भी उनकी साजिश में शामिल हो सकते हैं। नेता ने गुरुवार के अंक में यह बात व्यक्त की। यह सच निकला।
दलाल तैयार करते हैं फर्जी दस्तावेज
शुक्रवार को ही वसई विरार नगर निगम के शहरी नियोजन उपनिदेशक वाई.एस. रेड्डी ईडी के रडार पर आ गए। आरोपियों ने षडयंत्र रचकर इस स्थान पर अनाधिकृत निर्माण कार्य कराया। इसके लिए आरोपी बिल्डरों और स्थानीय दलालों ने फर्जी मंजूरी दस्तावेज तैयार किए थे। इसके जरिए आम नागरिकों का विश्वास जीतकर उन्हें बड़ी संख्या में फ्लैट बेचे गए। अधिकारी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप कई गरीब और निर्दोष नागरिकों के साथ धोखाधड़ी हुई।
2500 परिवार बेघर
ईडी की जांच के अनुसार, यह घोटाला 2009 से चल रहा था और ईडी ने कहा कि सीताराम गुप्ता, अरुण गुप्ता और अन्य आरोपियों ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, इन अनधिकृत इमारतों का निर्माण वसई-विरार नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया था। समय के साथ, वसई-विरार की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार सार्वजनिक सुविधाओं के लिए आरक्षित भूमि पर 41 इमारतों का अवैध रूप से निर्माण किया गया। आरोपियों पर घर खरीदने वालों को गुमराह करने के लिए अनुमोदन दस्तावेजों में जालसाजी करने का आरोप है। हालांकि इन 41 अवैध इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और राजनेताओं के कारण आज 2500 परिवार बेघर हो गए हैं।
एफआईआर के आधार पर जांच शुरू
ईडी के मुंबई जोनल कार्यालय-2 ने मीरा भयंदर पुलिस कमिश्नरेट द्वारा बिल्डरों, स्थानीय गुंडों और अन्य के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। यह मामला 2009 से वसई-विरार नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में सरकारी और निजी भूमि पर आवासीय और वाणिज्यिक भवनों के अवैध निर्माण से संबंधित है। निर्माण श्रमिकों पर अनधिकृत इमारतों में कमरे बेचकर लोगों को गुमराह करने का आरोप है।
ईडी के गले में और भी मछलियां फंसेगी
ईडी अधिकारियों ने कहा कि चल रही जांच में वित्तीय लेनदेन की आगे जांच की जाएगी, इसमें शामिल व्यक्तियों और संस्थाओं के पूरे नेटवर्क की पहचान की जाएगी, तथा इस मामले में किए गए धन शोधन और धोखाधड़ी की सीमा का पता लगाया जाएगा। इसलिए इस घोटाले में और भी मछलियां पकड़े जाने की संभावना है।
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