देश के किन भागों में भूकंप का ज्यादा खतरा? जानने के लिए पढ़ें ये खबर

धरती के अंदर 7 प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। ये प्लेट्स जिन जगहों पर ज्यादा टकराती हैं, उसे फॉल्ट लाइन जोन कहा जाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। ज्यादा दबाव बनने लगता है तो प्लेट्स टूट जाती है, जिससे एनर्जी बाहर आती है। इसी के बाद भूकंप आता है।

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देश के कई भागों में भूकंप के झटके आते रहते हैं। लेकिन रिक्टर स्केल पर उनकी तीव्रता काफी कम होने के कारण वे खतरनाक नहीं होते और उनसे ज्यादा नुकसान नहीं होता, लेकिन 28 अप्रैल को असम के गुवाहाटी सहित पूर्वोत्तर इलाकों में भूंकप का तेज झटका महसूस किया गया। इस दिन  सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर आए इस भूंकप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 6.4 बताई गई। भूकंप का केंद्र असम के सोनितपुर को बताया गया। इस भूकंप के दौरान कोई हताहत तो नहीं हुआ है, लेकिन नुकसान बड़ा हुआ है। मकानों और कार्यालयों की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें ये बताती हैं कि भूकंप कितना डरावना रहा होगा।

5 अप्रैल को कांप गया था उत्तर भारत
इससे पहले  भी 5 अप्रैल को उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किये गए थे। इस भूकंप का केंद्र सिक्किम-नेपाल सीमा पर रात लगभग 8.49 बजे महसूस किया गया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.4 मापी गई थी। इस घटना में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था।

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अमेरिका भी हिल गया
भूकंप के झटके तो भारत में थे लेकिन अमेरिका में भी महसूस किए गए थे। भारत के उत्तरी क्षेत्र मेें भूकंप के झटकों ने लोगों में कंपन पैदा कर दी, तो अमेरिका के लॉस एंजिलिस के लिनोक्स में भी महसूस किया गया। लिनोक्स में रिक्टर स्केल पर 4 की तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप के झटके का केंद्र सिक्किम के गंगटोक में था। इसका केंद्र धरती के दस किलोमीटर अंदर था।

12 फरवरी को भी कांपी थी धरती
12 अप्रैल को भारत समेत पूरा सेंट्रल एशिया भूकंप के झटकों से हिल गया था। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 बताई गई थी। इसका केंद्र ताजिकिस्तान में था। वहां इसकी तीव्रता 6.3 आंकी गई। यह पिछले 24 घंटे में तीसरा भूकंप का झटका था।  रात में आए इस भूकंप को पूरे उत्तरी क्षेत्र में लोगों ने महसूस किया। झटकों के कारण लोग घरों से बाहर आ गए। भूगर्भ विज्ञानियों के अनुसार भूकंप रात लगभग 10.31 मिनट पर आया। भारत के नेशनल सेंटर फॉर सेिस्मोलॉजी के अनुसार अफगानिस्तान के फयजाबाद में धरातल में 74 किलोमीटर नीचे इसका केंद्र था।

24 घंटे में तीसरा झटका
12 फरवरी 2021 को सबेरे 8.01 मिनट पर 4.3 तीव्रता का भूकंप का झटका राजस्थान के बीकानेर में महसूस किया गया था। यह धरातल से 290 किलोमीटर अंदर था।

5 सितंबर 2020 को कांप गई थी मुंबई
इस दिन मुंबई में 12 घंटों के अंदर तीन बार धरती कांपी है। नासिक में रात 12 बजे के करीब दो बार भूकंप के झटके के बाद एक बार फिर से मुंबई में भूकंप आया। सुबह 6.36 बजे मुंबई से 98 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में भूकंप आया, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.7 मापी गई। इससे अधिक तीव्रता रात में नासिक में मापी गई थी।

हमेशा डराती रहती है दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली को कोरोना के कहर के बीच भूकंप के झटके भी डराते रहते हैं। राहत की बात यह है कि अब तक के भूकंप की तीव्रता कम रही है। इस वजह से जानमाल की कोई क्षति नहीं हुई है। 17 दिसंबर की रात 11 बजकर 46 मिनट पर भी भूकंप के झटके ने लोगों मे डर और घबराहट का माहौल पैदा कर दिया। वे घरों से बाहर निकल आए। हालांकि भूकंप की तीव्रता 4.2 रहने से किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ। इसका केंद्र गुरुग्राम से 48 किलोमीटर दक्षिण में था। इससे पहले 2 दिसंबर की सुबह भी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे।

राजस्थान और मणिपुर में भी भूकंप
दिल्ली-एनसीआर के साथ ही 17 दिसंबर की रात राजस्थान के सीकर जिले और मणिपुर के कई इलाको में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी से मिली जानकारी के अनुसार सीकर में आए भूकंप के झटके की तीव्रता जहां 3.0 रिक्टर मापी गई, वहीं मणिपुर में इसकी तीव्रता 3.2 थी। मणिपुर में भूकंप का केंद्र मोइरंग बताया गया। यह मणिपुर से 38 किलोमीटर दक्षिण में था। यहां इसका समय 17 दिसंबर की रात 10.03 बजे था।

ये इलाके बेहद संवेदनशील
भूकंप के मामले में दिल्ली बेहद संवेदनशील माना जाता है। भूवैज्ञानकों ने दिल्ली और इसके आसपास के इलाके को जोन-4 में माना है। यहां 7.9 रिक्टर तीव्रता का भूकंप आ सकता है। इतनी तीव्रता के भूकंप का मतलब तबाही है। दिल्ली में भूकंप की आशंका वाले इलाकों में यमुना तट के करीबी इलाके, पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, मयूर विहार, लक्ष्मी नगर और गुड़गांव, रेवाड़ी तथा नोएडा के इलाके शामिल हैं।

2020 में आ चुके हैं कई झटके

  • दिल्ली में अप्रैल से मई तक पांच बार भूकंप के झटके आ चुके हैं।
  • 10 मई को 3.4 तीव्रता के भूकंप का केंद्र सतह से पांच किलोमीटर नीचे स्थित था।
  • 3 मई को भी एक हल्का भूकंप आया था।
  • इससे पहले 12 अप्रैल को दिल्ली-एनसीआर में शाम 5.50 बजे के करीब भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
  • 13 अप्रैल 2020 को फिर भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 2.7 दर्ज की गई थी।

आते रहे हैं तबाही मचानेवाले भूकंप
भारत में अनंतकाल से तबाही मचानेवाले भूकंप आते रहे हैं। 2001 में गुजरात के कच्छ में आए भूकंप में हजारों लोग मारे गए थे। टेक्टॉनिक प्लेटों के आपस में टक्कर के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में अक्सर भूकंप के झटके आते रहते हैं।

भारत में चार भूकंप जोन
भारतीय मानक ब्यूरो ने भारत को चार भूकंपीय जोन में बांटा है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक जोन 5 है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस जोन में रिक्टर स्केल पर 9 तीव्रता का भूकंप आ सकता है।

जोन 5
जोन-5 में पूरा पू्र्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ भाग, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात में कच्छ का रन, उत्तरी बिहार का कुछ भाग और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। इन क्षेत्रों में अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।

जोन-4
जोन-4 में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्कीम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी हिस्सा, सिंधु-गंगा के किनारे, बिहार ,पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से, पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ भाग और राजस्थान शामिल है।

जोन3
जोन-3 में केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब के हिस्से, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।

जोन-2
यह जोन भूकंप की दृष्टि से सबसे कम सक्रिय क्षेत्र है। इसे सबसे कम विनाशकारी वाले क्षेत्र की श्रेणी में रखा जाता है। जोन-2 में देश के बाकी हिस्से शामिल हैं।

क्यों आता है भूकंप?
धरती के अंदर 7 प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। ये प्लेट्स जिन जगहों पर ज्यादा टकराती हैं, उसे फॉल्ट लाइन जोन कहा जाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। ज्यादा दबाव बनने लगता है तो प्लेट्स टूट जाती है, जिससे एनर्जी बाहर आती है। इसी के बाद भूकंप आता है। भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं। टेक्टॉनिक प्लेटों में टक्कर के कारण ही भारतीय उपमहाद्वीप में अक्सर भूकंप आते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि भूजल में कमी से टेक्टॉनिक प्लेटों की गति में धीमी हुई है।

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