दिल्ली हिंसाः शरजील को राजद्रोह मामले में जेल या बेल? न्यायालय सुनाएगा फैसला

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शरजील को ट्रायल कोर्ट जाकर जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी थी।

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दिल्ली की कड़कड़डूमा न्यायालय बुधवार, 20 जुलाई को दिल्ली हिंसा के आरोपित शरजील इमाम की राजद्रोह के मामले में दायर जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत फैसला सुनाएंगे । कोर्ट ने 6 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले 30 मई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने शरजील को ट्रायल कोर्ट जाकर जमानत याचिका दायर करने की अनुमति दी थी। याचिका में राजद्रोह के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले को आधार बनाया गया है। इस फैसले में राजद्रोह के मामलों में केस दर्ज नहीं करने का भी आदेश दिया गया है।

फ्लैश बैकः
-इसके बाद शरजील इमाम ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के मुताबिक भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत जमानत के लिए पहले ट्रायल कोर्ट जाना होगा। अगर ट्रायल कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होती है तो उसके बाद ही हाईकोर्ट में अपील की जा सकती। तब शरजील इमाम के वकील तनवीर अहमद मीर ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। इसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दी।

-11 अप्रैल को कड़कड़डूमा कोर्ट ने शरजील की जमानत याचिका खारिज कर दिया था। 24 जनवरी को कोर्ट ने शरजील इमाम के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। कड़कड़डूममा कोर्ट ने राजद्रोह समेत दूसरी धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था। चार्जशीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के खिलाफ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी। इस कानून के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया। यह प्रचार किया गया कि मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएगा। शरजील को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।

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