वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगा मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन पर शिकंजा कस गया है। उसके खिलाफ आरोप पत्र तय हो गया है, जिसमें कहा गया है कि उसने मनी लॉन्ड्रिंग से मिले धन का इस्तेमाल दिल्ली दंगे के लिए किया। मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी।
दिल्ली के कड़कड़डूमा न्यायालय ने 11 जनवरी को ताहिर के खिलाफ आरोप तय किए। इसके बाद उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।
सर्वोच्च न्यायालय से नहीं मिली थी राहत
14 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली दंगों के मामले में आरोपित ताहिर हुसैन को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने ताहिर हुसैन के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने ताहिर के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय के इस आदेश को ताहिर हुसैन ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने की थी ये टिप्पणी
सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि एक ही मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई है। तब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के खिलाफ यहां पहुंच गया, यह ठीक नहीं। पहले सुनवाई उच्च न्यायालय में हो।
न्यायालय ने जमानत अर्जी कर दी थी खारिज
-दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 5 मार्च 2022 को दिल्ली हिंसा के आरोपित और आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में दायर जमानत याचिका खारिज कर दिया था। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया था।
-इससे पहले कोर्ट ने 08 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। ईडी ने इस मामले में ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को आरोपित बनाया है। ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के अंतर्गत धारा-3 के तहत आरोपित बनाया है। चार्जशीट में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में ताहिर द्वारा धनराशि लगाने का आरोप है।
इडी का आरोप
ईडी ने कहा है कि करीब सवा करोड़ रुपये से दंगों के लिए हथियारों की खरीदारी की गई। ईडी के अनुसार ताहिर हुसैन और उससे जुड़े लोगों ने एक करोड़ दस लाख रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की। दंगों के लिए एकत्रित किए गए इस धन को फर्जी कंपनी के जरिए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शनों में लगाया गया।