Delhi: दिल्ली की हवा में प्रदूषण का जहर, मरीजों पर ढा रहा कहर

मुख्य मार्गों से लेकर अंदरूनी सड़कें बदहाल स्थिति में हैं । बेतरतीब बढ़ रहे वाहनों से गैस उत्सर्जन के साथ धूल भी उड़ रही है। दिल्ली के केजरीवाल सरकार इस स्थिति से निपटने में फेल रही है।

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-नरेश वत्स

Delhi: वायु प्रदूषण की राजधानी (capital of air pollution) बन चुकी दिल्ली (Delhi) का दम स्थानीय कारणों की वजह से तो घुट रहा है। देश की राजधानी की मुख्य रूप से हवा पराली जलाने से भी जहरीली हो गई है। इसके साथ ही टूटी सड़कें और उससे उड़ रही धूल कोढ़ में खाज का काम कर रही है ।

मुख्य मार्गों से लेकर अंदरूनी सड़कें बदहाल स्थिति में हैं । बेतरतीब बढ़ रहे वाहनों से गैस उत्सर्जन के साथ धूल भी उड़ रही है। दिल्ली के केजरीवाल सरकार इस स्थिति से निपटने में फेल रही है।

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वर्षों से प्रदूषण नियंत्रण का प्रयास
दिल्ली में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कई वर्षों से प्रयास किया जा रहे हैं। लेकिन निराशाजनक है कि यह प्रयास बहुत सफल नहीं हो पा रहे हैं। यह सही है कि सर्दी के दिनों में मौसम की स्थितियों के कारण हवा की गति कम हो जाती है। और वातावरण में नमी बढ़ जाती है। जिससे प्रदूषक तत्व वायुमंडल में ऊपर नहीं जा पाते और वायु प्रदूषण गहराता है।

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क्या कहती है प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट?
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि 2014 से 2024 तक राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता में खास उतार चढ़ाव देखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार इस साल 19 सितंबर तक शहर में 96 दिन ऐसे दर्ज किए गए, जब वायु गुणवत्ता को खराब ,बहुत खराब या गंभीर के रूप में वर्गीकृत किया गया। डीपीसीसी की नवीनतम रिपोर्ट में उल्लेखित दिल्ली के नवीनतम स्रोत विभाजन अध्ययन से पता चलता है कि व्यापक शोध ने वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, सड़क की धूल ,निर्माण गतिविधियों और बायोमास जलाना जैसे दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों की पहचान की गई है।

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धूल प्रदूषण नियंत्रण के उपाय नहीं
दिल्ली में अंदरूनी सड़कों की स्थिति उचित रखरखाव के अभाव में ज्यादा खराब है । लुटियंस दिल्ली , सिविल लाइंस और प्रमुख मार्गों को छोड़ दें तो दिल्ली की सड़कों की हालत बदतर हो गई है । सरकारी एजेंसियां न तो धूल प्रबंधन ठीक से कर रही हैं और न सड़कों को ठीक किया जा रहा है । दक्षिणी दिल्ली, बाहरी दिल्ली . पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली इलाकों की तमाम अंदरूनी सड़के टूटी हुई है । दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में 1,200 किलोमीटर सड़कों का क्षेत्र आता है । दिल्ली नगर निगम बीते साल में मात्र 136 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत कर पाई है । जबकि 180 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत करने की योजना है। दिल्ली नगर निगम के पास सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए कई फंड हैं, जिसमें मुख्यमंत्री सड़क योजना , शहरी विकास योजना और एमएलएलैड प्रमुख हैं ।

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ग्रेप के चार स्तर
ग्रेप के चार स्तर हैं , खराब, बहुत खराब ,गंभीर और अति गंभीर। एक्यूआई 201 से 300 के बीच खराब श्रेणी में आने पर ग्रेड वन की पाबंदियां लगती है। औद्योगिक इकाइयों थर्मल प्लांट, रेस्तरां ,तंदूर पर रोक लगाई जाती है।
निर्माण परियोजनाओं में धूल उड़ने से रोकने को निर्देश जारी होते हैं। एक्यूआई 301 से 400 बहुत खराब श्रेणी में है, तब ग्रेट दो के तहत पार्किंग शुल्क बढ़ाना, सीएनजी इलेक्ट्रिक बस में मेट्रो की सेवाएं बढ़ाना शामिल है। गंभीर श्रेणी के 401 से 450 एक्यूआई पर ग्रेप 3 लागू होता है। जिसमें पेट्रोल के bs3 और डीजल के bs4 वाहनों पर रोक लगती है। निर्माण और तोड़फोड़ पर प्रतिबंध रहता है। एक एक्यूआई 450 से ऊपर अति गंभीर श्रेणी है। तब ग्रेप कर लागू होता है। दिल्ली में डीजल के हल्के और भारी मालवाहकों पर प्रतिबंध लग जाता है।

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पराली का जहरीली धुआं
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों से बाहर के प्रदूषण के हिस्सेदारी ज्यादा ‌राजधानी की हवा में प्रणाली का धुआं फैलने लगा है। इस सीजन में पहली बार है कि हवा में प्रणाली के धुएं की हिस्सेदारी सामने आई है उत्तर पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा पराली के धुएं को दिल्ली की तरफ धकेल रही है भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के अनुसार पराली के धुए से दिल्ली की हवा जहरीली हो रही है ।

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खुले में जलते कूड़ा
सरकार की सख्ती के बावजूद जमीनी धरातल पर कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही इससे कूड़ा जलाने के मामले बढ़ रहे हैं। सरकारी एजेंसियां कूड़ा जलाने पर रोक लगाने में असफल हो रही है और हॉटस्पॉट में नहीं सुधर रहे हालात प्रदूषण के हॉटस्पॉट पर वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं रही है वायु गुणवत्ता सूचकांक एक कई दिनों से खराब से बेहद खराब श्रेणी में बरकरार है।

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