जेएनयू में अब गंदी बात… महिला आयोग ने कड़ा कदम उठाया

दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सदा विवादों में बना रहता है। इसमें शिक्षा के साथ छात्र सियासी दांव पेंच भी खेलते हैं, परंतु स्थिति तब बिकट हो जाती है, जब छात्र टुकड़े-टुकड़े गैंग की मानसिकता को अपना लेती है।

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दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने शनिवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के परिसर के अंदर छात्रा के यौन उत्पीड़न के संबंध में नोटिस जारी किया। डीसीडब्ल्यू ने मामले में मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लिया और रजिस्ट्रार से मामले में की गई कार्रवाई का विवरण मांगा।

डीसीडब्ल्यू ने नोटिस में कहा कि “पता चला है कि इससे पहले विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए जीएससीएएसएच कमेटी थी। हालांकि, इसे 2017 में भंग कर दिया गया था और जीएससीएएसएच के स्थान पर एक कानूनी रूप से अनिवार्य आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि भंग किए गए जीएससीएएसएच समिति में छात्रों और शिक्षकों का प्रतिनिधित्व था और जीएससीएएसएच विश्वविद्यालय द्वारा गठित वर्तमान आंतरिक शिकायत समिति की तुलना में यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने में अधिक प्रभावी था।”

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वहीं डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, “यह वास्तव में दुखद है कि ऐसी घटना विश्वविद्यालय परिसर के अंदर हुई। परिसर के अंदर छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है। मैंने जेएनयू प्रशासन को नोटिस जारी किया है क्योंकि जेएनयू प्रशासन को प्रदर्शनकारियों की बात सुननी चाहिए और उनकी जायज मांगों को स्वीकार करना चाहिए। कानून एक आईसीसी को स्थापित करने का आदेश देता है लेकिन उसमें छात्र और शिक्षक प्रतिनिधि और पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया क्यों नहीं हो सकती है ?आयोग इस मामले में जेएनयू से सक्रिय कार्रवाई की उम्मीद करता है।”

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