फिरोजशाह कोटला किले में नमाज पढ़ने को हिंदू संगठनों ने बताया लैंड जिहाद, इस तरह किया विरोध!

दिल्ली स्थित फिरोज शाह कोटला किले में आम आदमी पार्टी विधायक के अपने साथियों के साथ नमाज पढ़ने का हिंदू आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव भाटी ने विरोध किया है।

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हरियाणा के गुरुग्राम की सड़कों पर नमाज पढ़ने का मामला अभी भी गरमाया हुआ है। इस बीच आम आदमी विधायक अमानतुल्लाह खान की फिरोज शाह कोटला किले में नमाज पढ़ने का मुद्दा गरम हो गया है। सोशल मीडिया पर आप विधायक के किले में घुसकर नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू संगठन ने आपत्ति जताई। उन्हें इस बात की हैरानी हुई कि जिस किले में जाने के लिए उन्हें टिकट लेना पड़ता है, उसमें आप विधायक सुरक्षाकर्मियों को डरा-धमकाकर अपने 15 साथियों के साथ नमाज पढ़ रहे हैं।

इस घटना से आहत हिंदू आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव भाटी ने कुछ दिन पहले इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने किले के पास जाकर एक वीडियो जारी किया था। इस वीडियो में उन्होंने फिरोजशाह कोटला किले के पास हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने का आह्वान किया था। इसके साथ ही उन्होंने हिंदुओं को इस मुद्दे पर एक साथ आने की भी अपील की थी।

18 जनवरी को किया हनुमान चालीसा का पाठ
इन दोनों वीडियो को जारी हुए एक सप्ताह बीत गया। 18 जनवरी यानी मंगलवार को जब अपने कहे अनुसार किले में संजीव भाटी अपने साथियों के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने पहुंचे तो पुलिस ने वहां का रास्ता रोककर बैरिकेडिंग की हुई थी। इस पर उन्होंने प्रश्न पूछा है कि जब अमानतुल्लाह खान अपने साथियों के साथ किले में घुसकर नमाज पढ़ सकते हैं तो हम वहां हनुमान चालीसा क्यों नहीं पढ़ सकते हैं। संजीव भाटी द्वारा साझा किए गए इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि नमाज का जवाब हनुमान चालीसा है।


पुलिस के मना करने के बावजूद हिंदू संगठन के लोग वहां बैठ गए और हनुमान चालीसा का पाठ किया। घटनास्थल के वीडियो में देखा जा सकता है कि हिंदू युवक सड़क पर पुलिस से घिरे हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में मीडिया वाले भी उपस्थित हैं।

लैंड जिहाद की आशंका
भाटी ने कहा कि अगर इस मामले में वे आवाज नहीं उठाते को यहां लैंड जिहाद होने की भी आशंका थी। अब मामला सबके संज्ञान में आ गया है और इस मामले में शिकायतें भी की गई हैं। लेकिन खान की धमकियों पर अभी भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। उनका दावा है कि किले के भीतर एक छोटी-सी मस्जिद बनाई गई है, जबकि पहले से यहां कोई मस्जिद नहीं थी।

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