कोलकाता पुलिस (Kolkata Police) ने शहर में तैनात 12 केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों (Central Government Employees) के खिलाफ करीब एक करोड़ के लोन धोखाधड़ी मामले (Loan Fraud Cases) में जांच शुरू कर दी है। इन कर्मचारियों पर फर्जी दस्तावेज़ों (Fake Documents) के सहारे विभिन्न बैंकों से व्यक्तिगत ऋण लेने और बाद में ईएमआई (EMI) चुकाना बंद कर देने का आरोप है।
इस मामले में भारतीय रेलवे का एक कर्मचारी पलास मुखोपाध्याय को गिरफ्तार किया गया है, जिसने अकेले ही 11 लाख का लोन लिया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, सभी आरोपित अलग-अलग केंद्रीय विभागों, विशेषकर रेलवे में कार्यरत हैं और सभी ने एक ही तरीके से फर्जीवाड़ा किया है, जिससे एक संगठित गिरोह की आशंका गहराती जा रही है।
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पुलिस जांच में सामने आया है कि सभी आरोपितों ने एक विशेष वित्तीय संस्था से ऋण लिया था और इसके लिए उन्होंने कुछ चुने हुए मार्केटिंग एजेंटों के माध्यम से आवेदन किया। लोन की कुछ किश्तें चुकाने के बाद उन्होंने भुगतान बंद कर दिया।
वित्तीय संस्था द्वारा किए गए बैकग्राउंड वेरिफिकेशन में यह पाया गया कि सभी आवेदनों में आय और वित्तीय स्थिति संबंधी दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया गया है। सभी फाइलें एक ही समूह के एजेंटों के माध्यम से जमा की गई थीं। इसके बाद संस्था ने पार्क स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की।
जांचकर्ताओं के अनुसार, यह मामला साधारण लोन डिफॉल्ट से अलग है क्योंकि सभी आरोपित केंद्रीय कर्मचारी हैं और उन्होंने एक जैसे तरीके से फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया है। आमतौर पर केंद्रीय कर्मचारी बैंकों की नजर में “लो-रिस्क” यानी कम जोखिम वाले माने जाते हैं, ऐसे में इस प्रकार की धोखाधड़ी से यह संदेह गहरा हो गया है कि इसमें कोई संगठित गिरोह सक्रिय हो सकता है।
पुलिस इस पूरे नेटवर्क की परतें खोलने के लिए संदिग्ध एजेंटों और अन्य कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है।
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