कोरोना सरका – पीक को लेकर संभ्रम

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मुंबई। कोरोना महामारी को लेकर गुड न्यूज है। भारत में पिछले तीन हफ्ते से कोरोना संक्रमित होनेवाले लोगों की संख्या में लगातार कमी आई है। हालांकि क्या इसका पीक गुजर गया है, इस बारे में कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है। इस वजह से इसे लेकर संभ्रम की स्थिति है। फिलहाल बीते 24 घंटे में 61,267 संक्रमण के मामले आए हैं। दूसरी तरफ अच्छी खबर यह भी है कि पिछले 24 घंटे में कोरोना को हरानेवाले लोगों की संख्या 75 हजार से भी अधिक है। यानी ठीक होनेवाले लोगों की संख्या संक्रमित होनेवाले लोगों से करीब 15 हजार अधिक है। इस तरह कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर करीब 85 फीसदी तक पहुंच गई है, जबकि मौत की दर अब मात्र 1.2 फीसदी रह गई है।
देश में कुल मरीजों की संख्या करीब 65 लाख
पिछले 24 घंटे में पाए गए संक्रमण के 61,267 मामलों के साथ देश में कुल मरीजों का आंकड़ा करीब 65 लाख हो गया है। इसके साथ ही स्वस्थ हो गए मरीजों का आंकड़ा 56 लाख 52 हजार 490 है। पिछले 24 घंटे में देश में कुल 884 मरीजों की मौत हुई है। यह पिछले तीन हफ्तों के आंकड़ों में सबसे कम है। अगर कुल मरीजों की मौत की बात करें तो देश में अब तक इस महामारी से एक लाख 3 हजार से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को 10 लाख 90 हजार लोगों के टेस्ट किए गए। इसी के साथ देश में अब तक 80 लाख 10 हजार से अधिक लोगों के टेस्ट किया जा चुका है, जबकि प्रति 10 लाख आबादी पर हर दिन 828 लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं।
क्या भारत में गुजर चुका है पीक?
17 सितंबर को भारत में सात दिनों में रोजाना नए कोरोना केस का औसत 93,199 रहा था। यह केवल देश ही नहीं, दुनिया के लिए एक रेकॉर्ड था। हालांकि, तब से रोजाना नए कोरोना केसों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। इस वजह से माना जा रहा है कि भारत में कोरोना संक्रमण पीक पार कर चुका है। इसके बावजूद इस बारे में कोई अधिकृत जानकरी उपलब्ध नहीं है। इस वजह से इस महामारी से सतर्क रहने में ही भलाई है।
पांच राज्यों में कहर जारी
देश के पांच राज्यों में कोरोना के मामलों में अभी भी लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। उनमें केरल, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश शामिल है। यहां 13 सितंबर से 4 अक्टूबर के बीच कोरोना संक्रमण में भारी वृद्धि देखी गई है।
आम से लेकर खास तक आ चुके हैं चपेट में
कोरोना ने अबतक अमेरिका, ब्राजील और रुस आदि देशों के साथ ही भारत में भी कहर बरपाया है। इसकी गंभीरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि भारत में अब तक तीन सांसदों और 13 विधायकों की जान जा चुकी है। इनमें केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री भी शामिल हैं। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का निधन 23 सितंबर को हुआ। वहीं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रहे चेतन चौहान और कमला रानी वरुण की भी कोरोना की चपेट में आने से निधन हो गया। पार्टी स्तर पर देखें तो भाजपा ने सबसे ज्यादा सांसद और विधायक गंवाए हैं। उनके एक लोकसभा, एक राज्यसभा सांसद, जबकि दो विधायक और एक विधान पार्षद की मौत कोरोना से हुई है। उसके बाद प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का नंबर आता है, जिसने इस महामारी में अपने तीन विधायकों को गंवा दिया है।
विश्व में 10 लोगों में से एक संक्रमित
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खुालासा किया है कि दुनिया में प्रति 10 लोगों से एक वयक्ति कोरोना संक्रमित हो सकता है। कोरोना वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ ने 34 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड की बैठक में डॉ माइकल रेयान ने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में दर में अंतर हो सकता है। विशेषज्ञ इससे पहले से ही कहते आ रहे हैं कि जितने कोरोना संक्रमण के मामले बताए जा रहे हैं, दुनिया में उससे ज्यादा लोग संक्रमित हो सकते हैं। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि की कई देशों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवा भी उपल्ध नहीं है। इस वजह से न तो सभी का टेस्ट हो पा रहा है और न इलाज मिल पा रहा है।
भारत ने की वैक्सीन के लिए बड़ी तैयारी
माना जा रहा है कि जबतक वैक्सीन नहीं तैयार हो जाती, तब तक कोरोना महामारी को मात देना मुश्किल है। इस वजह से विश्व के दूसरे देशों की तरह भारत ने भी इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। आवश्यक वस्तु सेवा अधिनियम, ड्रग्स ऐंड कॉस्टमेटिक ऐक्ट और आपदा प्रबंधन कानून समेत उन तमाम विकल्पों की तैयारी कर रही है, जिसके जरिए कोविड-19 वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता बनाई जा सके।
भारत को बढ़त हासिल
देश में बड़े पैमाने पर वैक्सीन बनाने की क्षमता के कारण भारत को एक बड़ी बढ़त भी हासिल है और सरकार कंपनियों के साथ मोलभाव करने की भी स्थिति में है। आवश्यक वस्तु सेवा अधिनियम का सेक्शन 3 सरकार को किसी चीज के उत्पादन और वितरण पर नियंत्रण करने का अधिकार देता है। इस अधिनियम में वैक्सीन भी शामिल है। इस कानून में सरकार के पास यह भी अधिकार है कि जरूरी होने पर वह कंपनियों पर पूरी या वैक्सीन का कुछ हिस्सा केंद्र या राज्यों को बेचने के लिए बाध्य कर सकती है।

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