पत्रकारों के उत्पीड़न में चीन नंबर वन!

विश्व में दिसंबर की शुरुआत में अपने काम की वजह से 274 पत्रकारों को जेल जाना पड़ा है और उनमें से करीब 36 पत्रकार गलत खबर देने के आरोप में जेल में बंद हैं। यह आंकड़ा कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने जारी किया है।

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वर्ष 2020 में रिकॉर्ड संख्या में पत्रकारों को जेल में रखने का खुलासा हुआ है। इस मामले में चीन नंबर वन है। अमेरिका की एक निगरानी संस्था ने यह रिपोर्ट जारी की है। इस मामले में चीन के बाद तुर्की और मिश्र का नंबर है। जबकि बेलारुस और इथोपिया में राजनैतिक गतिरोध के कारण बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी जेल में हैं।

274 पत्रकार गिरफ्तार
विश्व में दिसंबर की शुरुआत में अपने काम की वजह से 274 पत्रकारों को जेल जाना पड़ा है और उनमें से करीब 36 पत्रकार गलत खबर देने के आरोप में जेल में बंद हैं। यह आंकड़ा कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने जारी किया है। कमेटी रिपोर्ट के कहा गया है कि यह लगातार पांचवां साल है, जब विश्व के अलग-अलग देशों में 250 से अधिक पत्रकार जेलों में बंद हैं।

खास बातें

  • चीन में 47 पत्रकारों को जेल में डालकर रखा गया है। इनमें से तीन कोरोना महामारी से जुड़ी खबर देने को लेकर जेल में बंद हैं।
  • मिश्र में 27 पत्रकार जेल में बंद हैं, इनमें से कम से कम तीन पत्रकार कोविड-19 को लेकर रिपोर्ट छापने की वजह से जेल में हैं।
  • मिश्र और होंडुरस की जेल में संक्रमित हो जाने के कारण पत्रकारों की मौत हो गई।
  • जेल जानेवाले पत्रकारों में 36 महिलाएं भी शामिल हैं।
  • ये सभी अपने-अपने देश में रिपोर्टिंग कर रहे थे।

अमेरिका में दिसंबर में गिरफ्तारी नहीं
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में 110 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया। अमेरिका प्रेस ऑफ फ्रीडम ट्रेकर ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में अमेरिका में किसी पत्रकार की गिरफ्तारी या हत्या नहीं हुई और न कोई जेल में है। हालांकि 2020 में यहां कुल 110 पत्रकारों को हिरासत में लिया गया। उन पर आपराधिक आरोप लगाए गए। वहीं 300 को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

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भारत में जेल में चार पत्रकार
भारत में चार पत्रकार जेल में बंद हैं। उनमें से तीन स्वतंत्र और एक संस्था से जुड़े पत्रकार शामिल हैं। इन चारों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज है। लेकिन अभी तक किसी को भी सजा नहीं सुनाई गई है।

29 पत्रकारों की हत्या
रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में कुल 29 पत्रकारों की हत्या कर दी गई। ये पिछले साल के मुकाबले थोडा ज्यादा है। पिछले साल 26 पत्रकारों की हत्या की गई थी। हालांकि यह आंकड़ा पिछले दशक के शुरुआती समय से कम है। 2012 और 13 में 74 पत्रकार मारे गए थे।

तानाशाही देशों में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं
इस बारे में महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार जयदेव डोले का कहना है कि जिन देशों में तानाशाही ज्यादा है, वहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।  ऐसे देशों में पत्रकारों के साथ तरह-तरह के अन्याय और अत्याचार किए जाते हैं। चीन, पाकिस्तान ऐसे देशो में शामिल हैं। इन देशों में पत्रकारों को तरह-तरह से प्रताडित किया जाता है। सरकार की नीतियों के खिलाफ लिखनेवाले पत्रकारों को मारा-पीटा जाता है और अन्य तरह से लगातार प्रताड़ित किया जाता है।

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