पीएफआई से जुड़े दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश! जानिये, चार्जशीट में है क्या

एनआईए ने सितंबर 2022 में यह मामला उस साजिश में दर्ज किया था, जिसे पीएफआई के नेताओं द्वारा कट्टरपंथी व भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को हथियारों के प्रशिक्षण के माध्यम से भारत में विभिन्न वर्गों के बीच खाई पैदा करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने के उद्देश्य से रचा था।

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एनआईए ने राजस्थान में पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) की हिंसक उग्रवाद की गतिविधियों और एजेंडे से जुड़े मामले में एनआईए मामलों की विशेष कोर्ट में दो आरोपियों कोटा के मोहम्मद आसिफ उर्फ आसिफ व बारां के सादिक सर्राफ के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की है।

इन धाराओं के तहत कार्रवाई
एनआईए ने चार्जशीट में दोनों आरोपियों पर आईपीसी की धारा 120 बी, 153 ए और यूए (पी) एक्ट 1967 की धारा 13, 17, 18, 18 ए व 18 बी के तहत आरोप लगाए हैं। एनआईए ने कहा कि आरोपी पीएफआई के प्रशिक्षित सदस्य हैं जो हिंसक वारदातों को अंजाम देने के लिए पीएफआई के लिए युवाओं की भर्ती की प्रक्रिया में शामिल थे। आरोपियों का मुख्य उद्देश्य 2047 तक भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने के साथ ही आतंक व हिंसक गतिविधियों को अंजाम देना और इनके लिए हथियार व धन जुटाना था। इसके अलावा वे हथियारों और विस्फोटकों से निपटने के लिए ट्रेनिंग कैंप आयोजित करने, पीएफआई कैडरों को हथियार उठाने के लिए उकसाने और हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने में भी शामिल रहे थे। इसके अलावा उन्होंने भारत देश के विभिन्न धार्मिक वर्गों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और देश में इस्लामिक शासन स्थापित करने के लिए युवाओं को हिंसक तरीकों का सहारा लेने के लिए प्रेरित भी किया। उन्होंने मुस्लिम युवाओं को यह विश्वास दिलाने के लिए कट्टरपंथी बनाया कि भारत में इस्लाम खतरे में है। वहीं इसके लिए पीएफआई कैडरों और समुदाय के लिए इस्लाम की रक्षा करने और 2047 तक भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए खुद को हथियारों के इस्तेमाल में प्रशिक्षित करने की जरूरत बताई। आरोपी व्यक्ति हथियारों की खरीद के लिए जकात के नाम पर धन इकट्ठा कर रहे थे और पीएफआई कैडरों के लिए हथियार और विस्फोटक प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहे थे।

इस्लामिक शासन स्थापित करने का षड्यंत्र
गौरतलब है कि एनआईए ने सितंबर 2022 में यह मामला उस साजिश में दर्ज किया था, जिसे पीएफआई के नेताओं द्वारा कट्टरपंथी व भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को हथियारों के प्रशिक्षण के माध्यम से भारत में विभिन्न वर्गों के बीच खाई पैदा करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने के उद्देश्य से रचा था।

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