अब अमेरिका को दिखाया इंग्लैंड ने ठेंगा!

अमेरिका ने विकिलीक्स के संस्थापक जूलीयन असांज पर जासूसी, अमेरिकी प्रशासन के कंप्यूटरों में हैकिंग के जरिये घुसपैठ करके जानकारी चुराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। इस मामले में वो लंबे समय से जूलीयन असांज को अमेरिका लाकर कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत सजा देना चाहता है।

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अमारिका को जिसकी तलाश है वो इंग्लैंड में है और इंग्लैंड उसे अमेरिका के हाथों नही सौंपेगा। ये बात हो रही है विकिलीक्स के संस्थापक जूलीयन असांज की जिसके प्रत्यर्पण को लेकर इंग्लैड की कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। जूलीयन असांज को लेकर अमेरिका लंबे समय से प्रयत्नशील रहा है कि उसे लाकर वो बेड़ियों में जकड़ सके। लेकिन इंग्लैंड की कोर्ट के निर्णय ने उसकी कोशिशों को ठेंगा दिखा दिया है।

अमेरिका ने विकिलीक्स के संस्थापक जूलीयन असांज पर जासूसी, अमेरिकी प्रशासन के कंप्यूटरों में हैकिंग के जरिये घुसपैठ करके जानकारी चुराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। इस मामले में वो लंबे समय से जूलीयन असांज को अमेरिका लाकर कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत सजा देना चाहता है। उससे बचने के लिए जूलीयन असांज ने कई देशों की शरण ली थी। अब वह इंग्लैंड में है जहां से प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका ने कोर्ट में याचिका की थी। इस पर निर्णय सुनाते हुए इंग्लैंड की कोर्ट ने जूलीयन असांज के प्रत्यर्पण की मांग ठुकरा दिया है।

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ऑस्ट्रेलियाई मूल के असांज को अमेरिका ने 18 काउंट में अपराधी माना है। विकिलीक्स ने अमेरिकी सरकार की ढेर सारी गुप्त जानकारी और सैन्य रिकॉर्ड को लाइव केबल के जरिये सार्वजनिक कर दिये था। इसके कारण विश्व में अमेरिका की बहुत किरकिरी हुई थी। इससे चिढ़ा अमेरिका हर हाल में जूलीयन असांज को अपनी गिरफ्त में लेना चाहता है।

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लंदन के ओ बेली में चल रही सुनवाई में असांज के वकीलों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह पूरा प्रकरण राजनीति से प्रेरित है। ऐसे में असांज का प्रत्यर्पण पत्रकारिता के कार्यों पर बड़ा हमला है। जहां जज वैनेस्सा बरैतसर ने असांज के वकीलों की सारी दलीलों को ठुकरा दिया लेकिन प्रत्यर्पण की मांग को इस आधार पर ठुकराया कि प्रत्यर्पण बड़ा खतरा है और इसके कारण वो आत्महत्या कर सकता है।

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