‘प्रवीण’ के अधिकारी को चहल ने बनाया परदेशी

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सरकारी विभाग में बड़े ओहदे पर बैठे अधिकारी अपने अनुभवहीन लोगों को भी मोटी सैलरी की मलाई किस तरह खिलाते हैं, इसका एक उदाहरण देश की सबसे अमीर मुंबई महानगरपालिका में देखने को मिला है। बीएमसी के पूर्व आयुक्त प्रवीण परदेशी ने पूर्व सनदी अधिकारियों के बेटे और अपने रिश्तेदारों को मुख्य विश्लेषक के पद पर नियुक्त किया था। उन्होंने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उन्हें ढाई लाख रुपए की मोटी सैलरी पर नियुक्त किया था। लेकिन वर्तमान बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने कुछ दिन पहले उन्हें बीएमसी मुख्यालय से बाहर का रास्ता दिखाकर प्रवीण के नियुक्त अधिकारियों को परदेशी बना दिया है। फिलहाल इन विश्लेषकों को अतिरिक्त आयुक्त अश्विनी भिड़े के कार्यालय में बैठा दिया है।

मुख्य विश्लेषक के पद पर की गई थी नियुक्ति
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल में मुख्य विश्लेषक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी। लेकिन वे यहां पूरी तरह फेल हो गए । उन्होंने अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई तथा वे सिर्फ टाइम पास कर मोटी सैलरी पर हाथ साफ करते रहे। इनके द्वारा जिम्मेदारी नहीं संभालने के कारण बीएमसी में कोरोना के आंकड़ों के विश्लेषण के लिए एक निजी कंपनी को नियुक्त करना पड़ा। इससे प्रवीण परदेशी के इन संगे-संबंधियों की पोल खुल गई और यह स्पष्ट हो गया कि ये  मुफ्त मे मोटी सैलरी पर हाथ साफ करते रहे हैं।

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फेलोशिप के लिए की गई थी नियुक्ति
मुंबई महानगरपलिका में फेलोशिप के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के नाम वरुण और निखिल हैं। ये जहां एक सेवामुक्त सनदी अधिकारी के बेटे हैं, वहीं प्रवीण परदेशी के रिश्तेदार भी बताए जाते हैं। इन्हें शुरू में बीएमसी के मुख्य कार्यालय के विभिन्न विभागों में आनेवाली शिकायतों से संबंधित काम के लिए मुख्य विश्लेषक के पद पर नियुक्त किया गया था। पूर्व में फेलोशिप के लिए आनेवाले दो युवकों को डेढ़ से  कुल दो लाख रुपए सैलरी दी जाती थी। लेकिन इन दोनों फेलोशिप कर रहे युवकों को प्रवीण परदेशी ने ढाई-ढाई लाख रुपए की सैलरी पर नियुक्त किया था।

बीएमसी के कामकाज का कोई अनुभव नहीं
मुंबई महानगरपालिका के अनेक सेवा मुक्त विभाग प्रमुख, अभियंता और उपायुक्त व सह आयुक्त को बीएमसी के कामकाज का अच्छा-खासा अनुभव है। ऐसे बेदाग कई सेवामुक्त अधिकारियों ने ‘ओएसडी’ द्वारा खुद को नियुक्त किए जाने का निवेदन किया था। लेकिन उनके इस अनुरोध पर विचार तक नहीं किया गया और कॉरपोरेट जगत के इन युवकों को मोटी सैलरी पर नियुक्त किय गया। इनके आलावा सुभेंद्र कानडे भी मुख्य विश्लेषक की टीम में शामिल थे। उन्हें बैंकिंग क्षेत्र को तो अच्छा अनुभव था लेकिन बीएमसी के कामकाज के तरीकों की कोई जानकारी नहीं थी। इस वजह से वरुण और निखिल के साथ वह भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सके। कोरोना काल में प्रवीण परदेशी की जगह पर इकबाल सिंह चहल को बीएमसी आयुक्त नियुक्त किया गया। उसके बाद उन्होंने सुभेंद्र कानडे को भी हाशिये पर फेंक दिया। ये इमारतों और झुग्गी झोपड़ों में फैल रहे कोरोना महामारी का भी विश्लेषण नहीं कर पाए।

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