West Bengal: फर्जी पासपोर्ट मामले(Fake passport case) में गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी नागरिक आज़ाद मल्लिक उर्फ़ आज़ाद हुसैन(Pakistani citizen Azad Malik alias Azad Hussain) को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने बड़ा खुलासा किया है।
जांच एजेंसी के अनुसार, पिछले दो से तीन वर्षों में आज़ाद और उसके सहयोगियों के खातों में करीब 50 करोड़ रुपये की नकद लेनदेन हुई है। अदालत में पेशी के दौरान ईडी ने बताया कि आज़ाद केवल नकली पासपोर्ट ही नहीं, बल्कि यूरोप के कई देशों के फर्जी वीजा भी तैयार करता था।
पाकिस्तान के कई नागरिकों को फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए यूरोपीय देशों में भेजा
ईडी के मुताबिक, आज़ाद ने पाकिस्तान के कई नागरिकों को यूरोपीय देशों के फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए भेजा। इसके अलावा दुबई, कम्बोडिया और मलेशिया जैसे देशों के लिए भी नकली वीजा तैयार किए गए। जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि कहीं आतंकवादियों को भी फर्जी पासपोर्ट और वीजा पर विदेश भेजा गया है या नहीं।
आज़ाद से जांच के दौरान दो अलग-अलग मतदाता पहचान पत्र भी बरामद हुए हैं—एक नैहाटी विधानसभा क्षेत्र से और दूसरा राजारहाट-गोपालपुर क्षेत्र से। ईडी अब यह जांच कर रही है कि उसे ये कार्ड कैसे मिले और किन लोगों ने इसमें उसकी मदद की।
आजाद फर्जी पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार
इससे पहले, आज़ाद को फर्जी पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार किया गया था। प्रारंभ में उसे बांग्लादेशी नागरिक माना गया था, लेकिन उत्तर 24 परगना के बिराटी इलाके में उसके घर की तलाशी में पाकिस्तान का ड्राइविंग लाइसेंस मिला, जिसमें उसका नाम आज़ाद हुसैन दर्ज था। इसके बाद ईडी को पूरा यकीन हुआ कि वह पाकिस्तानी नागरिक है और उसका संबंध सीधे तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से है।
ईडी को संदेह है कि आज़ाद ने अब तक करीब 200 भारतीय फर्जी पहचान पत्र तैयार किए हैं और इनकी मदद से नकली पासपोर्ट बनाए गए। यह संख्या 500 तक पहुंच सकती है।
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