वो धरती से टकराया तो…

धरती के पास पांच उल्का पिंड तेजी से बढ़ रही हैं। इसमें तीन छोटे हैं तो दो बड़े। इनमें सबसे धीमी गतिवाले उल्का पिंड की गति 15,9348 किलोमीटर प्रति घंटे की है।

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जी हां, वो यानी पांच क्षुद्र ग्रह हैं, जो तीव्र गति से धरती के पास आ रहे हैं। इसमें तीन छोटे हैं तो दो बहुत बड़े हैं और यदि छोटा भी धरती से टकराता है तो हिरोशिमा परमाणु बम विस्फोट जितनी ऊर्जा को उत्सर्जित करेगा।

धरती के पास ये जो क्षुद्र ग्रह बढ़ रहे हैं वो 6 जनवरी को पास होंगे। इनमें से दो तारे आइफिल टॉवर के जितने बड़े हैं। इसमें से 2008 एएफ 4 आधा किलोमीटर जितना चौंड़ा है। सेंटर फॉर नीयर अर्थ ऑबजेक्ट स्टडीज़ (सीएनइओएस) के अनुसार यदि ऐसी परिस्थिति बनती है कि बड़ा पृथ्वी के किसी भूभाग से टकरा जाए तो उससे 25 से 50 मेगाटन ऊर्जा उत्सर्जित होगी जो विश्व के सबसे बड़े परमाणु बम से भी कई गुना अधिक होगी।

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क्या होते हैं क्षुद्र ग्रह?

ये खगोलीय पिंड हैं जो ग्रहों से छोटे किंतु उल्का पिंडो से बड़े होते हैं। ये सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इनके छोटे आकार के कारण इन्हें ग्रह की श्रेणी में नहीं शामिल किया गया है। इसलिए इन्हें लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह ही कहते हैं। एक अनुमान के अनुसार हमारी सौर प्रणाली में लगभग एक लाख क्षुद्र ग्रह हैं। पहला क्षुद्र ग्रह सेरेस है जिसकी खोज 1801 में इटालियन खगोलशास्त्री पीआज्जी ने की थी। सौर प्रणाली में वेस्टाल ही एक मात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नीरी आंखों से देखा जा सकता है। अब पृथ्वी से टकराने या उसके पास आने वाले क्षुद्र ग्रहों के बारे में बात करें तो जो क्षुद्र ग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से वातावरण में आकर टकरा जाते हैं उन्हें उल्का पिंड कहा जाता है। इनमें 22 प्रतिशत सिलिकेट और 5 प्रतिशत लोहा और निकेल धातु होती है।

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