ऐसे मिली भाजपा को उत्तर प्रदेश में विजय

भाजपा की उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी विजय विपक्षी पार्टियों के सोशल इंजीनियरिंग के गणित को चौपट कर चुकी है।

113

उत्तर प्रदेश ने जो राजनीतिक संदेश दिया है, उसके मायने बेहद अलग हैं। प्रतिपक्ष की लाख कोशिशों के बावजूद भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से फिर कामयाब रही। दोबारा सत्ता में वापसी कर भाजपा ने साफ संदेश दे दिया कि है कि उसके मुकाबले विपक्ष कहीं नहीं ठहरता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता बरकरार है। भाजपा ने जातिवाद की राजनीति को ध्वस्त कर पुनः सत्ता में वापसी की है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह बहुत बड़ी सफलता है। योगी आदिनाथ ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जो 37 साल के इतिहास में लगातार दोबारा शपथ लेने जा रहे हैं। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। भाजपा कांग्रेस, सपा और बहुजन समाज पार्टी के साथ सपा को यह संदेश देने में सफल हुई है कि प्रदेश में अब विकास- विश्वास की राजनीति ही सफल होगी, जातिवाद का कोई स्थान नहीं है।

ये भी पढ़ें – महाराष्ट्र में लगेगा राष्ट्रपति शासन? चार राज्यों में जीत के बाद बढ़ा भाजपा का आक्रमण

जाति नहीं विकास की राजनीति
राज्य में भाजपा की वापसी के पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का सियासी दबदबा था। राम मंदिर आंदोलन के बाद भाजपा ने सत्ता में जबरदस्त वापसी की थी लेकिन, मंडल की राजनीति ने उसे गायब कर दिया। उधर, 90 के दशक के बाद कांग्रेस की वापसी नहीं हो पाई। 40 साल तक उत्तर प्रदेश की सत्ता में रहने वाली कांग्रेस हर चुनाव में अपना जनाधार खोती चली गई। कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता के लबादे में इतना उलझी कि मंडल-कमंडल की राजनीति में उसका अस्तित्व ही खत्म हो गया। उत्तर प्रदेश में 2017 के पहले जातिवादी राजनीति चरम पर थी। राम मंदिर आंदोलन के बाद भाजपा की वापसी के बावजूद, यहां सपा-बसपा की जातिवादी राजनीति हावी रही। सन् 2014 में केंद्र की सत्ता में भाजपा की वापसी के बाद जहां राज्य में कांग्रेस खत्म होती चली गई, वहीं उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी भारतीय जनता पार्टी ने जबरदस्त वापसी की।

2024 का संदेश
उत्तर प्रदेश में भाजपा को घेरने के लिए सपा -बसपा और कांग्रेस ने कई प्रयोग दोहराए लेकिन, उसका कोई खास प्रभाव नहीं दिखा। विपक्ष आंतरिक रूप से टूटा, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। केंद्र और प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन की सरकार होने की वजह से विकास पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ा। जिस मुद्दों से कांग्रेस बचती थी, भाजपा ने उसे फ्रंटफुट पर खेला। राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक, एनआरसी और हिंदुत्व जैसे मुद्दों को धार दिया। ‘सबका साथ, सबका विकास’ वाले मंत्र को अपनाकर भाजपा आगे बढ़ी और कामयाब हुई। उत्तर प्रदेश में भाजपा जितनी मजबूत हुई, विपक्ष उतना ही कमजोर हुआ। अब बदले सियासी हालात में विपक्ष को गंभीरता से विचार करना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि 2022 के आम चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत ने 2024 का भी मार्ग प्रशस्त कर दिया है।

चार बार की मुख्यमंत्री की पार्टी सिमटी
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी दलित विचारधारा की मुख्य पार्टी मानी जाती रही। मायावती चार-चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। बहुजन समाज पार्टी इतनी जल्द कमजोर हो जाएगी, इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। देश में आज जिस तरह कांग्रेस गुजर रही है, वही हालत बहुजन समाज पार्टी की है। हालांकि आज भी दलित मत उसके साथ है, लेकिन अब उसकी संख्या कम हो चली है। सन् 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के जरिए अगड़े और दलितों को लेकर मायावती ने सरकार बनायी थी। इस बार के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की जो दुर्गति हुई, वह चिंतनीय है। चुनाव परिणाम को देखकर साफ होता है कि दलित विचारधारा की मुख्य पार्टी का अस्तित्व खत्म हो चला है। मायावती अभी तक कोई सियासी उत्तराधिकारी नहीं दे सकी हैं। साल 2017 में 19 सीटों पर जीत हासिल करने वाली बहुजन समाज पार्टी एक सीट पर सिमट गई। उसे करीब 12.9 फ़ीसदी मत मिले।

मत मिले पर सत्ता नहीं
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जमकर मेहनत की लेकिन, उनके कार्यकर्ताओं ने जोश में होश खो दिया। अति उत्साह में समाजवादी कार्यकर्ताओं ने जिस तरह सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किए, उसका खमियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। अखिलेश यादव की तरफ से बहुत अच्छी मेहनत की गई लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहा। फिर भी अकेले दम पर उन्होंने जो मेहनत की, वह प्रशंसनीय है। राज्य में सपा 35 फ़ीसदी वोट हासिल करके भी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। उसे 124 सीटों पर संतोष करना पड़ा। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी ने 41.3 फ़ीसदी वोट हासिल कर 274 सीटों पर भगवा लहरा दिया। हालांकि 2017 के मुकाबले भाजपा को 46 सीटों का नुकसान हुआ है, जबकि सपा को 70 सीटों का फायदा मिला है।

प्रियंका राज में कांग्रेस साफ
प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस 2017 का भी प्रदर्शन दोहराने में कामयाब नहीं हुईं। उसे सिर्फ दो सीटें मिलीं, जबकि उसे पांच सीटों का घाटा हुआ। कांग्रेस को ढाई फीसद मत हासिल हुए। कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व के लिए यह मंथन का विषय है।

जाति मिथक पर चोट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुलडोजर बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए हैं। भाजपा को जीत दिलाने में पार्टी का सांगठनिक अनुशासन, सामूहिक प्रयास और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास एवं सबका प्रयास जैसे मुद्दे जीत दिलाने में कामयाब हुए हैं। राशन, सुशासन का मुद्दा भी अहम रहा है। भाजपा के मजबूत सांगठनिक ढांचे से यह कामयाबी मिली है। भाजपा अपने संगठन को मजबूत बनाने के लिए कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ती है। पार्टी के सांगठनिक ढांचे में सबको जिम्मेदारी दी जाती है। उसकी राजनीतिक सफलता के पीछे यह भी आम कारण रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा आम आदमी का विश्वास जीतने में बेहद सफल रही है। राज्य में जातीय मिथक को तोड़ने में भी वह सफल हुई है। भाजपा को काफी संख्या में पिछड़ों ने भी वोटिंग किया है। इसकी वजह से वह दोबारा सत्ता में लौटी है।

(लेखक – प्रभुनाथ शुक्ल)

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.