अरुणाचलः आर्मी का चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, पायलटों की तलाश जारी

सेना के लिए लम्बे समय तक 'लाइफलाइन' रहे चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों के पुराने बेड़े को बदलने की जरूरत काफी समय से जताई जा रही है।

अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी खमेंग जिले में 16 मार्च को भारतीय सेना का एक चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मंडला पहाड़ी इलाके के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर के पायलटों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। सेना के लिए लम्बे समय तक ‘लाइफलाइन’ रहे चीता हेलीकॉप्टरों के पुराने बेड़े को बदलने की जरूरत काफी समय से जताई जा रही है। मौजूदा समय में सेना के पास मौजूद चीता हेलीकॉप्टर 30 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं।

गुवाहाटी के रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि सुबह करीब 09:15 बजे अरुणाचल प्रदेश के बोमडिला के पास ऑपरेशनल उड़ान भरने वाले आर्मी एविएशन के चीता हेलीकॉप्टर का एटीसी से संपर्क टूट गया। इसके बाद बोमडिला के पश्चिम में मंडला के पास हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना है। पीआरओ डिफेंस ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर के पायलटों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू करके घटनास्थल की ओर कई उड़ानें भरी गईं हैं।

5 अक्टूबर 2023 को भी हुआ था हादसा
इससे पहले पिछले साल 5 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके के पास भारतीय सेना का चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें एक पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल सौरभ यादव शहीद हो गए थे। यह चीता हेलीकॉप्टर अपनी नियमित ड्यूटी करते हुए जेमीथांग सर्कल के बीटीके क्षेत्र के पास न्यामजंग चू में फायर डिवीजन के बॉल जीओसी को पहुंचाकर सुरवा सांबा क्षेत्र की ओर लौट रहा था। तभी तवांग के निकट यह हेलीकॉप्टर सुबह करीब 10 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

भारतीय सेना के पास 37 चीता हेलीकॉप्टर
वायु सेना के पास 17 और भारतीय सेना के पास 37 चीता हेलीकॉप्टर हैं। इसमें 4 पैसेंजर या फिर 1135 किलोग्राम वजन ले जा सकते हैं। 33.7 फीट लंबे हेलीकॉप्टर की ऊंचाई 10.1 फीट है। यह अधिकतम 192 किमी. प्रतिघंटा की गति से 515 किलोमीटर तक एक साथ उड़ान भरता है। इसे अधिकतम 17,715 फीट की ऊंचाई तक ले जाया जा सकता है। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर के लिए यही हेलीकॉप्टर सबसे ज्यादा मुफीद माना जाता है।

सेना के लिए लम्बे समय तक ‘लाइफलाइन’
सेना के लिए लम्बे समय तक ‘लाइफलाइन’ रहे चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों के पुराने बेड़े को बदलने की जरूरत काफी समय से जताई जा रही है। मौजूदा समय में सेना के पास मौजूद चीता हेलीकॉप्टर 30 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं। इसीलिए आर्मी एविएशन ने चीता हेलीकॉप्टरों की विदाई करके अपनी युद्धक शक्ति बढ़ाने की तैयारी तेज कर दी है। सेना के हवाई बेड़े में स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) और अमेरिकी अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसे 2024 तक पूरा किया जाना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here