टाटा का अब एयर इंडिया… 18 हजार करोड़ में बनी बात

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टाटा सन्स के पास एयर इंडिया की कमान चली गई है। इसके लिए टाटा को 68 साल तक इंतजार करना पड़ा है। टाटा सन्स ने 18 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। इसमें स्पाइस जेट के अजय सिंह ने इस नीलामी के लिए 15,100 हजार करोड़ की बोली लगाई थी। इसमें सबसे अधिक बोली टाटा सन्स की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने महाराजा को टाटा सन्स के हाथ सौंप दिया है।

आर्थिक मामले की कैबिनेट कमेटी के अंतर्गत एयर इंडिया स्पेसिफिक आल्टरनेटिव मेकेनिज्म (एआईएसएएम) ने सरकारी की सौ प्रतिशत इक्विटी वाले एयर इंडिया को मेसर्स टेलेस प्राइवेट लिमिटेड को अधिक बोली लगाने के आधार पर देने का निर्णय किया है। मेसर्स टेलेस प्राइवेट सौ प्रतिशत टाटा सन्स की सब्सिडियरी कंपनी है। इस निविदा को जीतने के बाद रतन टाटा ने ट्वीट करके महाराज का स्वागत किया है।
उन्होंने लिखा है वेलकम बैक, एयर इंडिया

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टाटा को हस्तांतरण में क्या मिलेगा?
18 हजार करोड़ रुपए की बोली में भारत सरकार की सौ प्रतिशत इक्विटी वाली एयर इंडिया और एआईएक्सएल और एआईएसएटीएस का पूरा अधिकार मेसर्स टेलेस प्राइवेट लिमिटेड के पास चला जाएगा। इस ट्रांजेक्शन में नॉन कोर एसेट, भूमि और इमारतें शामिल नहीं हैं। जिनकी कीमत 14,718 करोड़ रुपए है। इस संपत्ति को अब भारत सरकार की एयर इंडिया एसेट होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) सौंप दिया जाएगा।

ऐले शुरू हुआ डिसइन्वेस्टमेंट
लंबे समय से घाटा कमा रही एयर इंडिया की डिसइन्वेस्टमेंट योजना जून 2017 में शुरू हुई, जब आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने इसकी मंजूरी दी। पहली निविदा प्रक्रिया में कोई एक्प्रेसन ऑफ इंटरेस्ट नहीं आया था। इसके बाद 27 जनवरी 2020 को प्रक्रिया को फिर शुरू किया गया, इस बार प्रीलिमिनरी इन्फोर्मेशन मेमोरेन्डम (पीआईएम) के जरिये एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मंगाया गया। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण इसकी समय सीमा को बढ़ाना पड़ा। जिसके अंतर्गत अक्टूबर 2020 में निविदा में बदलाव किया गया था। इसे इन्टप्राइज वैल्यू के आधार पर जारी किया गया, जिससे संभावित निविदाकर्ता को समय मिल पाए।

 

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