फ्रांस ने माली के आतंकी अड्डों पर हमला कर दिया। इसमें उसके मिराज विमानों ने भारी गोलाबारी की जिसमें 50 से अधिक अल-कायदा के आतंकियों के मारे जाने की खबर है।
यूरोप में आतंकी हमले जारी हैं। इसमें माली के आतंकी समूहों की भूमिका को लेकर ही फ्रांस ने यह हमला किया है। इसके लिए ये समझना आवश्यक है कि कैसे माली आतंकी समूहों का केंद्र बन गया। पेश है ‘आतंकियों के माली’ के चार मुख्य कारण।
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1. माली में 2011 और 2012 के राजनीतिक संकट में लीबिया के विद्रोह ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इस दौरान सशस्त्र विद्रोह के लिए इस्लामी अलगाववादियों को हथियार उपलब्ध कराए गए। इसी परिणामस्वरूप माली बड़े पैमाने पर इस्लामी आतंक का केंद्र बन गया। जिनकी पहुंच माली की सुरक्षा और राजनीति तक हो गई।
2. माली की सरकार उत्तरी क्षेत्रों पर शासन करने के लिहाज से बहुत कमजोर है। कमजोर कानून प्रवर्तन और पुराने भ्रष्टाचार के कारण क्षेत्र स्थानीय कट्टरपंथी इस्लामी समूहों और आतंकवादी गुटों के लिए ड्रग्स, हथियार और मानव तस्करी जैसे संगठित अपराध और हवाला के लिए एक केंद्र गया है। जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने में मदद करता है।
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3. इस क्षेत्र में विभिन्न समूहों के बीच एक हिंसक प्रतियोगिता है। इनमें से प्रत्येक समूह अपनी ताकत का दावा करने के लिए हिंसक हमलों को अंजाम देकर एक-दूसरे को पछाड़ने की कोशिश करता रहा है। फ्रांस में हुए आतंकी हमलों से स्पष्ट है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी रणनीतियों को देश और विदेश दोनों जगह चुनौती दी जा रही है।
4. माली के उत्तरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गरीबी, असमानता, शिक्षा का अभाव, बेरोजगारी है और वंचित समुदायों के लिए गतिशील सरकार की नीतियों की कमी है, जो कट्टरता के लिए गुंजाइश पैदा करता है।
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